साल 2005 की बात है। फेसबुक हैडक्वार्टर एकदम खाली भूतहा जैसा दिख रहा था। एक लड़की पहली जॉब और इंटरव्यू के लिए ऑफिस में बैठी थी। दोपहर में लगभग दो घंटे इंतजार करने के बाद उसे बुलाया गया।
लड़की ने फेसबुक प्रमुख 'मार्क जुकरबर्ग' को ऐसा प्रभावित किया कि वह बन गई 'फेसबुक' की पहली महिला इंजीनियर। यह लड़की थी 'रुचि सांघवी', जिसने फेसबुक की सबसे विवादित फीचर 'न्यूज फीड' का आइडिया दिया।
उन्होंने अपने कुछ बेहतरीन आईडिया से फेसबुक को दुनिया की सोशल नेटवर्किंग साइट बनाया. 2005 में नौकरी ज्वाइन करने वाली 23 वर्षीय रुचि ने 2010 में कंपनी में बड़े पद को छोड़कर सबको चौंका दिया।
महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली रुचि सांघवी ने फेसबुक उस समय ज्वाइन किया, जब उसे कोई जानता नहीं था। वह शुरुआत के 10 इंजीनियर्स में अकेली लड़की थी। सिर्फ पांच साल के फेसबुक करियर में उन्होंने कंपनी को दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किग साइट बनते हुए देखा।
अपने पिता की कंपनी से न जुड़कर रुचि कुछ अलग करना चाहती थीं। उन्होंने अमेरिका जाकर 'कार्नेज मेलन यूनीवर्सिटी' से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। उन्होंने कहा कि जब मैंने इंजीनियरिंग में जाने के बारे में सोचा तो मेरी हंसी उड़ाई गई. लोग मुझसे कहते कि अब तुम आस्तीन ऊंची कर किसी फैक्ट्री में काम करोगी।
इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के 150 छात्रों की क्लास में रूचि समेत सिर्फ पांच लड़कियां थीं। वह भी अमेरिका जैसे देश में. सच पूछा जाए तो उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर पुरुषों के अधिकार क्षेत्र में सेंध लगाई। 2005 में 23 वर्षीय रुचि के फेसबुक ज्वाइन करने के बाद फेसबुक संस्थापक जुकरबर्ग और उनके साथी यूजर को साइट पर इंगेज करने के लिए आईडिया ढूंढ रहे थे। तभी रूचि ने एक आइडिया दिया..।
रुचि ने बताया कि 'हम लगातार मीटिंग कर रहे थे और कोई भी हल नहीं निकल रहा था। तभी, अचानक मैंने कहा कि क्यों न हम एक न्यूज पेपर जैसा 'फीचर' बनाएं, जिसमें यूजर लगातार इंगेज रहे। यह कुछ लत जैसा था.'उन्होंने मार्क से कहा कि जैसे न्यूजपेपर में हम लगातार पेज पलटते जाते हैं और एक स्टोरी से दूसरी स्टोरी पर पहुंच जाते हैं, ऐसी ही फीचर बनाना होगा, जिसमें यूजर लगातार उलझा रहे।
मार्क को आईडिया पसंद आ गया. रुचि और उनके साथियों ने 2006 में 'न्यूज फीड' लांच किया, जिसने बाद के सालों में फेसबुक की किस्मत बदल दी. फेसबुक का सबसे विवादित फीचर 'न्यूज फीड' किसी भी यूजर के होमपेज का सेंटर कॉलम होता है। दूसरे लोगों के पेज से नई स्टोरीज और उनके विचार आदि आपको अपने पेज पर 'न्यूज फीड' के जरिए दिखाई देते हैं।
उस समय लोगों का कहना था कि यह प्राइवेसी पर हमला है। कुछ का कहना था कि यह फालतू फीचर जोड़ा गया है। उन दिनों की याद कर रुचि कहती हैं कि लोगों ने फेसबुक पर 'आई हेट फेसबुक' ग्रुप बनाया था। हमारे ऑफिस के बाहर लोग नारे लगाते थे, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, लोगों ने इसे बहुत पसंद किया। हमारे फेसबुक पर हर घंटे में करीब 50 हजार नए यूजर आने लगे। बाद के सालों में 'फ्रेंड्सफीड' और 'लिंक्डिन' ने भी इसी आइडिया को कॉपी किया।
'न्यूज फीड' के अलावा फेसबुक के 'प्लेटफॉर्म' (थर्ड पार्टी डेवलपर के लिए) और 'कनेक्ट' (फेसबुक यूजर को अपनी आईडेंटिटी को दुनिया की किसी भी साइट से कनेक्ट करने के लिए) लांच किए। इन फीचर्स के जरिए फेसबुक को इंटरनेट की दुनिया में खुद के नियम गढ़ने का मौका दिया। मार्क कहते हैं कि इन तीन एप्लीकेशन ने फेसबुक पर सोशल नेटवर्किग को आसान और सबसे अलग बनाया।
रुचि ने एक स्पीच के दौरान कहा कि मैंने अपने पापा से वादा किया था कि मैं 25 साल की उम्र में शादी कर लूंगी, क्योंकि भारत में लड़की की शादी की यही सही उम्र है और 50 साल में उसे दादी भी बन जाना होता है. यह ताज्जुब की बात थी कि रुचि को अपना हमसफर फेसबुक में ही मिला।
उनके पति 'आदित्य अग्रवाल' ने 2005 में इंजीनियरिंग निदेशक के रूप में फेसबुक ज्वाइन किया था। छह साल डेटिंग के बाद दोनों ने शादी कर ली। शादी में उनके दोस्तों के अलावा खुद 'मार्क जुकरबर्ग' भारतीय परिधान में मौजूद थे। उन्होंने दूल्हे की बारात में हिन्दी गानों पर जमकर ठुमके लगाए।
2010 में 30 साल की उम्र में रुचि ने फेसबुक छोड़कर अपना खुद का काम करने का फैसला किया।फेसबुक में 'लीड प्रॉडक्ट मैनेजर' के पद को छोड़ खुद की कंपनी 'कोव' शुरू की। फरवरी 2012 में 'कोव' को 'ड्रोपबॉक्स' नामक कंप्यूटर डेटा शेयरिंग कपंनी ने खरीद लिया। 'रुचि' कंपनी की वाइस प्रेसीडेंट हैं।
रुचि का कहना है कि कई लोग सोचते हैं कि कोई भी लड़की 'बिल गेट्स' और 'स्टीव जॉब्स' जैसी नहीं बन सकती, लेकिन वे गलत हैं। मेरा कहना है कि लड़कियों को इस फील्ड में आना चाहिए। रुचि ने जब कंपनी ज्वाइन की थी, तब फेसबुक का कोई ब्रांड नहीं था, लेकिन इसी ने 2012 में एक अरब यूजर का आंकड़ा छू लिया।
कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली की स्टार मानी जाने वाली 'रुचि' की सक्सेस को जब दूसरी लड़कियों ने देखा तो और लड़कियों के लिए रास्ते खुले। बकौल रूचि, अब कई सॉफ्टवेयर कंपनियों में महिलाओं को पुरुषों जैसी सुविधाएं मिलने लगी हैं। बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टियां, काम की लचीली शिफ्ट और दफ्तर में बच्चों की देखभाल की सुविधाएं बहुत फायदेमंद हैं।
दैनिक भास्कर से साभार :
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krantikari kadam hi itihas banate hain
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