Skip to main content

{अ}सत्यमेव जयते।

सत्यमेव जयते का इंतज़ार मुझे बड़ी ही शिद्दत से था लेकिन पहले हफ्ते सत्यमेव जयते नहीं देख पाया शायद उस दिन मेरी नींद,मेरी शिद्दत पर भरी पड़ गयी,किस्मत ऐसी की दुसरे हफ्ते केवल आपरेटर धोखा दे गया,लेकिन मैंने दुसरे एपिसोड को जैसे तैसे यू-टूयूब पर देखा। सत्यमेव जयते में पूरी कोशिश की गयी थी की काम आमिर खान या राजकुमार हिरानी की तरह ही हो मतलब या तो सबको हंसा दो या रुला दो,जीत तुम्हारी है। यकीनन मैं सत्यमेव जयते का सबसे बड़ा प्रशंसक हूँ इसलिए कुछ अनसुलझे सवालों के जवाब की तलाश है।      

 आमिर खान के शो 'सत्यमेव जयते' में बचपन में यौन शोषण के शिकार हुए हरीश अय्यर अपने जीवन के बारे में बात कर रहे थे,उनकी बातों और हरकतों से मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था,समझ नहीं आ रहा था की 18 तक यह साल का लड़का अपनी बात कैसे नहीं कह पाया मन में हिसाब किताब चलने लगा की,मैं 14 ,15 या 16 साल में कितना परिपक्व हुआ था,और जवाब मिला की शायद 18 साल का इंतज़ार मुझे नहीं करना होता खैर मन को समझाया की हरीश अय्यर की कोई मजबूरी हो सकती है,लेकिन आज जो पता चला उससे मुझे कुछ आहत हुआ,की आखिर आमिर ऐसा कैसे कर सकते है। आखिर क्यों हरीश अय्यर के जीवन के बारे में पूरा सच नहीं बताया गया? 

हरीश अय्यर का यौन शोषण हुआ और लगातार हुआ,यह बहुत बड़ा अपराध है और इस पर चर्चा होनी चाहिए थी लेकिन हरीश ने कहा की उसे बताने का १८ साल तक मौका नहीं मिला या हिम्मत नहीं मिली यह शायद उतना सच नहीं है जितना सत्यमेव जयते में देखकर लगता है, 19 साल की उम्र से उन्होंने होमोसेक्सुएलिटी का एहसास करना शुरू किया,वो भी इस लिए क्योंकि उसने कुछ महीने पहले इस चीज़ को नो कह दिया था,जबकि हो सकता है की वो इस चीज़ का आदि हो चुका था,शायद इसलिए उसे दो जिंदगी जीनी पड़ रही थी, एक यह सब करने के बाद खुद को गिल्टी फील करना और दूसरा ना होने के दौरान बेचैनी। होंश सँभालते-सँभालते हरीश अय्यर गे एक्टिविस्ट हो चुके थे,जो आज भी हैं


इसमें दो राय नहीं है की यह प्रवृति उनके अंदर उसी शोषण के कारण आयी।सवाल यह है की अगर क्या हरीश का पूरा सच जनता के सामने रखा जाता तो क्या हरीश पर जनता का यही रवैया होता ? क्या जनता हरीश की 18 साल पुरानी ख़ामोशी का यही मतलब निकलती जो हरीश ने बताया? 

हरीश अय्यर ने एक इंटरव्यू के दौरान यह कहा था कि समलैंगिक होने के चलते अपोजिट सेक्स के साथ उनका अनुभव अच्छा नहीं रहा। हरीश की तरह देश में और भी कई ऐसे लोग है जो दोहरी जिंदगी जी रहे है,जो गे एक्टिविस्ट है,शायद उनका दर्द भी हरीश की तरह है और हरीश इस दर्द को समझते भी है,इसलिए पब्लिक प्लेटफॉर्म्स पर गे राइट्स के लिए आवाज उठाते रहते हैं। अभी 29 अप्रैल को एक न्यूज चैनल पर प्रसारित प्रोग्राम में हरीश अपनी मां के साथ शामिल हुए थे और उन्होंने अपनी समलैंगिकता पर खुलकर चर्चा की थी । 


अगर कोई चैनल यह कहता है की उसे हरीश के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी तो कही ना कही उसके पास सूचनाएँ पहुँचाने वाले माध्यम में कुछ कमी है क्योंकि हरीश के जीवन से प्रेरित अब तक दो फिल्में बन चुकी हैं, आमेन और आई एम अभिमन्यु। यह कोई छोटी बात नहीं हो सकती।  हरीश अय्यर फिलहाल बाल यौन शोषण मुद्दे पर एक किताब लिखने की तैयारी कर रहे है । वह मुंबई के गे मार्च में भी एक्टिवली पार्टिसिपेट करते हैं। वह अपने समलैंगिकता के बारे में फेसबुक और ट्विटर पर बात करते रहते हैं। लेकिन क्या यह सच हरीश ने छुपाया या आमिर ऐसे चाहते थे,क्योंकि उनकी जिस टीम ने 2 सालों की मेहनत के  बाद यह शो बनाया है उसे यह जानकारी ना हो ऐसा संभव नहीं है 

सत्यमेव जयते निश्चित तौर पर देश को दिशा देने वाला और दशा बदलने की कूबत रखने वाला शो है,देश की जनता इसे देखना चाहती है पूरे सत्य के साथ,गलती से भी जनता पहुँचने वाला अर्धसत्य,देश के उम्मीदों और विश्वास को तोड़ सकता है,सत्यमेव जयते 

संजय सेन सागर हिन्दुस्तान का दर्द ब्लॉग के मोडरेटर है एम.बी.ए.के स्टुडेंट है,साथ साथ फिल्म लेखन में प्रयासरत है mr.sanjaysagar@gmail.com या 09907048438 पर संपर्क किया जा सकता है       

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा