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क्या सारा देश हिजडा हो गया हे ................?

दोस्तों मेने आभी अभी ब्लोगर कवि योगेन्द्र मोदगिल जी की एक रचना जिसका शीर्षक क्या सारा देश हिजड़ा हो गया हे पढ़ी इस रचना में उन्होंने अख़बार और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के सेक्स विज्ञापनों की भरमार की तरफ ऊँगली उठायी हे मेने इसका जवाब कवि महोदय को दिया के हाँ सारा देश हिजडा ही हो गया हे भाई आप मेरी बात से सहमत हों या न हों लेकिन मेरी बात पूरी तो पढेंगे । आज आप घर बाहर टी वी अख़बार जहां भी देखें सडकों पर दीवारों पर विज्ञापन देखें तो खुलेआम सेक्स की दवाओं के बेशर्म विज्ञापन हें । अख़बार टी वी जो देश को सुधारने और देश को नेतिक चारित्रिक शिक्षा देने की बात करते हें वोह इतनी बेशर्मी फेलायेंगे सपनों में भी किसी ने नहीं सोचा था लेकिन इससे भी बढ़ी हिजड़ी हमारी जनता और हमारी सरकार हे हमारा सिस्टम तो बिलकुल ही हिजड़ा गया हे । देश में ऐसे सेक्स के मामलों के विज्ञापन प्रकाशन नहीं करने की मनाही हे और ओषधि उपचारक नियन्त्रण विज्ञापन प्रतिषेध अधिनियम बनाया गया हे जिसमें लोगों के साथ ऐसी दवाओं के नाम पर जज्बात भड़का कर ठगी ना हो इसके लियें ऐसी दवा का विज्ञापन देना .छापना दोनों अपराध हें और आज जो कुछ भी अखबारों में छप रहा हे या टी वी में चल रहा हे सब अपराध हे और संगिये अपराध होने के कारण जिसमें पुलिस खुद मुकदमा दर्ज कर दोषी लोगों को गिरफ्तार कर सकती हे पुलिस को ऐसे विज्ञापन छपने वाले सम्पादकों मालिकों और टी वी चेनल वालों सहित विज्ञापन छपवाने वालों को गिरफ्तार कर जेल भेजना चाहियें और सम्बन्धित सामग्री जब्त करना चाहिए । वेसे भी ड्रग एक्ट के तहत किसी भी दवा का विज्ञापन देना अपराध हे अब में मर्द और हिजड़ों की बात पर आता हूँ दोस्तों कोटा में जब हमने अख़बारों में यह हाल देखा हर पेज पर सेक्स की दवा और ट्यूब इंजक्शन मशीनों यंत्रों के विज्ञापन हें तो हमारी मर्दानगी जागी और हम सभी अख़बार कानून लेकर थाने मुकदमा दर्ज करने जा पहुंचे थानेदार जी हेडिंग की तरह थे अख़बार वालों का नाम मुलजिमों की सूचि में देख कर घबरा अगये और उन्होंने मेरे हाथ जोड़ लिए में फिरागे बढा सर्किल अधिकारी के पास पहुंचा लेकिन वही हारा थका हेडिंग नुमा जवां मिला मेने सोचा चलो कोटा एस पी साहब को तो किसी बात का डर नहीं हें वोह तो जाते ही रिपोर्ट दर्ज करवा देंगे सो में उनके पास पहुंच गया उन्होंने कागज़ उलटा पलटा कानून देखा और अगल बगल झाँकने लगे तो भाई मेने फ़ाइल उठाई आई जी साहब के पास जा पहुंचा आई जी साहब ने भी मुकदमा दर्ज नहीं किया और फ़ाइल पेंडिंग में डाला दी में भी कहां हार मानने वाला था में उठा कलेक्टर कोटा टी रविकांत जी के पास जा पहुंचा कलेक्टर थे के करंट में थे उन्होंने मेरा प्रार्थना पत्र और कानून की कोपी देखी सरकार के वकील और विधि सहायक को बुलाया विज्ञापनों की विधिक जाँच की और बस उन्होंने सभी अख़बार वालों के खिलाफ कार्यवाही करने का एक फरमान कोटा नगर पुलिस अधीक्षक के नाम डाल दिया और जनसम्पर्क अधिकारी महोदय को बुला कर इस मामले में कानूनी रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी करने का भी निर्देश दिया कुछ अख़बारों में विज्ञप्ति छपी सोचा अख़बार तो विज्ञापन बंद कर देंगे पुलिस अधीक्षक ने कलेक्टर के आदेश निर्देशों को दायें बाएं किया और कोई कार्यवाही नहीं की फिर रोज़ जब विज्ञापन छपते रहे तो में एक बार फिर कलेक्टर के पास जाना चाहता था के सुबह खबर पढ़ी कोटा कलक्टर का ट्रांसफर कर दिया गया हे मेने कलेक्टर को इस हेडिंग के आधार पर बने समाज की आर्य्वाही पर सांत्वना दी और मामला अदालत में पेश किया जहां अदालत ने सभी अख़बार मालिकों को सम्मन से तलब किया हे लेकिन जनाब पुलिस की रिपोर्ट आई हे के अख़बार वाले वक्त पर नहीं मिलते इसलियें उन्हें सम्मन तामिल नहीं करवाए जा सके अब आप खुद ही बताइए जब इतनी सारी कार्यवाही के बाद भी विज्ञापन बदस्तूर जारी हो गेर कानूनी काम चल रहा हो तो फिर क्या इस देश के लोगों इस देश के समाज सेवकों इस देश की पुलिस इस देश के कानून और सिस्टम के लियें कवि योगेन्द्र मोदगिल की कविता का शीर्षक क्या असार देश हिजडा हो गया हे सही नहीं हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Comments

  1. बिल्कुल सही कहा जी, एक दम सत्य...सारा हिन्दुस्तान हिज़डा तो हो ही गया है ,हम सभी हिज़डे हैं-- तभी तो एक रिपोर्ट लिखवाने के लिये कलक्टर महोदय के पास जाना पडा उनसे पहले वाले भी सभी वही थे , फ़िर भी काम नहीं हुआ अर्थात उनके बाद वाले भी सभी वही....

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--- संजय सेन सागर

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