Skip to main content

इमाम बुखारी से कुछ सवाल!

शीबा असलम फहमी ने मेल के जरिए बताया है कि कैसे इमाम बुखारी की सरपस्ती में जामा मसजिद इलाके में अपराध पनपते हैं। विरोध करने पर उनके घर पर हमला किया जाता है। सच यही है कि इमाम बुखारी ने एक तारीखी इमारत को अपनी जागीर बना लिया है। बहुत लोगों ने देखा होगा कि कैस जामा मसजिद के कैंपस को दुरुपयोग किया जाता है। हम शीबा पर हुए हमले की कड़े अलफाजों में मजम्मत करते हैं और दिल्ली पुलिस से दरख्वास्त करते हैं कि शीबा और उनके शौहर को सुरक्षा मुहैया कराए।
-सलीम अख्तर सिद्दीकी

कल जो कुछ मेरे परिवार के साथ हुआ है, उसकी संक्षिप्त पृष्ठभूमि इस प्रकार है। घटना-क्रम इतना लंबा है की इस समय एक एक घटना और लेखों पर प्रतिक्रिया का विवरण बताया नहीं जा सकता। मेरे परिवार पर अहमद बुखारी के गुंडों का यह पहला हमला नहीं है। हमारी सुरक्षा पर गंभीर खतरा देखते हुए कोर्ट ने अपनी तरफ से दिल्ली-पुलिस को आदेश दिए की हमें सुरक्षा मुहैया कराई जाए। 2008 से ही हमें पुलिस संरक्षण प्राप्त है। ऐसा इसलिए भी जरूरी है की बुखारी परिवार और उनका समर्थक अपराधी वर्ग भी, हमारे साथ एक ही गली/क्षेत्र में रहते हैं। साथियों आपको मेरे परिचय की जरुरत नहीं। मैं क्या लिखती हूँ, किन मुद्दों को उठती हूँ, ये कमोबेश आप जानते ही हैं। पिछले दिनों जेंडर-जिहाद कालम में, एनडीटीवी पर अभिज्ञान प्रकाश के 'मुकाबला' कार्यक्रम में 'जिहाद' पर हुई बहस के बाद भी मुझे धमकियाँ मिली थीं। इसके पहले के लेखों में गैर-प्रगतिशील मुल्ला वर्ग पर लिखने के कारण धमकियाँ मिलती ही रही हैं। कल भी जो घटना घटी, उसमें कहा गया की 'टीवी पर जो बोलती हो वो काम नहीं आएगा'। 'परिवार के एक भी आदमी को जिÞन्दा नहीं छोड़ेंगे'। 'चैनलवालों को बुला कर दिखा दो, अब इस इलाके में रहने तो नहीं देंगे।' जहाँ तक इमाम अहमद बुखारी का सवाल है, मैंने कई लेखों में राष्ट्रीय धरोहर जामा मस्जिद को, बुखारी परिवार के चंगुल से आजाद कराने पर सख्त लिखा है। इसके पीछे कई कारण हैं। सैद्धांतिक कारणों को अगर अलग भी कर दिया जाए तो एक ही परिवार के इस राष्ट्रीय धरोहर पर कब्जे के कारण एक आपराधिक माहौल और इसका आपराधिक दोहन भी जारी है। इसमें कई तरह की फीस/शुल्क का लगान, संपत्ति को किराये पर देने-लेने के मामलों के साथ ही ड्रग/नशा का तंत्र, सेक्स रैकेट, हवाला रैकेट, मटका/सत्ता जैसे अपराध धड़ल्ले से पनप रहे हैं। जिसको आप कभी भी स्वयं आ कर किसी भी शाम/रात देख सकते हैं। इस क्षेत्र की हालत ऐसी हो चुकी है की रहना तो दूर कोई शरीफ आदमी यहाँ से गुजारना भी ना चाहेगा।
मेरे पति अरशद अली फहमी, जो की ‘दीन-दुनिया’ पत्रिका के उप-संपादक के साथ ही आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं, अब तक विभिन्न मामलों में लगभग 20 आरटीआई लगा चुके हैं। यह इत्तेफाक है की मैंने और मेरे पति ने ही अब तक कई कवर स्टोरी, लेख और रिपोर्ट्स की हैं, जो की अहमद बुखारी के आर्थिक हितों के विरुद्ध हैं, जिनमें लीबिया के सदर कर्नल कज्जाफी के यहाँ से आने वाली कैश मदद को रुकवाने से लेकर बुखारी के अवैध निर्माण, जो शाही जामा मस्जिद परिसर के अन्दर जबरन बनाए गए हैं, और जिनके लिए कोर्ट से आदेश हैं की इन्हें हटाया (तोड़ा) जाए, भी शामिल हैं। बुखारी के चुनावी फतवों पर मैंने हिंदी-अंग्रेजी और मेरे पति ने उर्दू में खूब लिखा है। इसी के साथ-साथ हमने एक पोस्टर कैम्पेन भी चलाई है, जिसमें बुखारी के भ्रष्टाचार के स्रोतों पर सवाल उठाए हैं। ये सभी बातें राष्ट्रीय मीडिया में खूब उठाई गई हैं।
इस समय जो सबसे जरूरी आरटीआई, जिसने बुखारी परिवार के हितों को आहत किया है वो है, जिसमें हमने संबंधित विभाग से पूछा है की ‘जामा मस्जिद परिसर के अन्दर मौजूद गली नंबर-3 में पार्क को कब्जा कर उसे पार्किंग में बदल कर जो पार्किंग चलाई जा रही है, उसका क्या स्टेटस है? क्या वह एमसीडी द्वारा आवंटित पार्किंग है?’ साथियों इस पार्किंग में कार के 50 /- प्रति घंटा और बस के 800/- प्रति दिन का रेट है, जो की पूरी दिल्ली में कहीं नहीं है। इस महंगी पार्किंग की कमाई सीधे बुखारी की जेब में जाती है। हर रोज यहाँ 150 से अधिक गाड़ियाँ आती हैं। अपने हालिया लेख 'ये शाही क्या होता है?' में भी इस मुद्दे को मैंने उठाया था, शायद आपको याद हो। इसके अलावा जामा मस्जिद में चोरी की गाड़ियाँ काटी जाती हैं। हाल ही में दो बार अपराधियों का रंगे हाथों पकड़वाया है। जामा मस्जिद क्षेत्र में अवैध करेंसी एक्सचेंज की लगभग 350 अवैध दुकाने हैं, जिनपर अगली आरटीआई कल ही तैयार की गई थी। इन सभी मामलों में आर्थिक अपराधियों का अहित लाजमी है और यह सभी अपराध किसकी छात्र छाया में पनप रहे हैं, यह बताने की जरुरत नहीं।
परसों शाम ही एक कश्मीरी मजदूर जो की खाड़ी के एक देश से लौटा था, उसके लगभग 218000 /- के करेंसी एक्सचेंज के मामले में एक दूकानदार ने 44 हजार रुपए ये कह कर कम दिए की यह टैक्स और और सर्विस चार्ज में कट गए हैं। उसके पास इस कारोबार का लाइसेंस भी नहीं है, तो सरकारी टैक्स देने का सवाल ही नहीं पैदा होता। मजदूर ने जब पैसा माँगा तो उसे मार कर भगा दिया गया। ऐसी सूरत में किसी ने उसे हमारे अखबार के दफ़्तर भेजा की वहां मदद मिल सकती है। अरशद जी ने मामले को समझते हुए लोकल पुलिस को बुलाया और फिर उस दुकानदार को बुला कर मामला सुलझाने की कोशिश की। दुकानदार पैसा देने का राजी नहीं था। इत्तेफाक से वो उस अपराधी का बेटा निकला, जो की चोरी की गाड़ियां कटवाता है। बहरहाल पुलिस के दबाव में उसे उस मजदूर का पैसा वापिस करना पड़ा। लेकिन यह इत्तेफाक था की दोनों मामले बाप-बेटे के निकले और दोनों ही अपराधी हैं और बुखारी के नजदीकी हैं। वे लगातार उनके नाम की धौंस देते रहे। इस तरह कई चीजें आपस में जुड़ गर्इं थीं। हमारे पास भी उसी शाम फोन आ गया था की कल हिसाब चुकाया जाएगा। हमने पुलिस को इत्तेला भी कर दी थी।कल की घटना की शुरूआत भी 'इमाम बुखारी जिÞन्दाबाद', के नारों से हुई। बाद की सारी घटना आप सब जानते हैं।
कुछ सवाल
* सवाल है की अगर बुखारी परिवार इन अपराधियों को संरक्षित नहीं करता है, तो कैसे इनकी हिम्मत हो जाती है की वे इनका नाम अपने अपराध में इस्तेमाल करें?
* अपराध करते समय यह अपराधी 'अहमद बुखारी जिंदाबाद' के नारे लगाने से क्या संदेश देना चाहते हैं?
* आजतक उन्होंने इनकी इस हरकत पर रोक क्यों नहीं लगाई है?
* क्या इस देश की अदालत-पुलिस ने जामा मस्जिद को अपने कार्यक्षेत्र से अलग कर दिया है?
* क्या इस देश की अदालत का फैसला जामा मस्जिद इलाके में बेअसर है?
शीबा असलम फहमी

Comments

  1. पार्किंग में कार के 50 /- प्रति घंटा और बस के 800/- प्रति दिन का रेट है,

    Is there any proof of receipt of this rate in written?

    इस महंगी पार्किंग की कमाई सीधे बुखारी की जेब में जाती है,

    Are there proofs in written?

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally