मुझे जाते हुए कही पर .,टोके गा कौन अब॥
मेरे आँखों के आसुओ को रोके गा कौन अब॥
दिन में सात बार खाने के पूछती थी॥
लागे नज़र टोना टोटको से झाड़ती थी॥
इन सूखे हुए गले को सीचेगा कौन अब।
मेरे आँखों के आंसुओ को रोकेगा कौन अब।,.
चारो पहर इस बाग़ में चिड़िया चहकती थी॥
कलियाँ बड़ी सुगन्धित दूरी से महकती थी॥
इनकी बेरुखी को खोलेगा कौन अब,॥
होते ही भोर मुझको रोज उठाती थी॥
पानी लेके हाथ मुह मेरा धुलाती थी॥
कोई गम तो नहीं लाल को पूछेगा कौन अब,.,.
bahut achha. apne c. g. ko BHARAT men sabse aggggge rakhana hai...............
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