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पिरवर्तन और परिवर्तित होना...

जब देश में परिवर्तन की बया चलने लगे तो। विद्धावानो का कर्तव्य है की वे भी उस परिवर्तन की हवाहो का आनंद ले और उसके थपेड़ो को बर्दास्त करे। और सोचे की इस वक्त हमें क्या करना चाहिए जिससे पार्टी के लोगो का भी मनो बल न टूटे और जनता के क्रोध का भी शिकार न होना पड़े॥
जिस प्रकार से अन्ना जी ने लोकपाल आन्दोलन चला कर जनता को जागरूक कर दिया है । सरकार और सरकार के लोगो की नींद हराम हो० गयी है। ख़ास कर कांग्रेस को काफी नुकशान सहना पद सकता है। ऐसा ही कुछ आभास हो रहा है..और दूसरी पार्टी के सदस्य मौका गवाना नहीं चाहते व्यंग के तीर मौका देख कर छोड़ते रहते है। और अब यह बात भी साबित हो गयी है । जब भी चुनाव होगा उसमे कांग्रेस का काफी नुकशान हो सकता है। चिंतन और मनन करना कांग्रेस को असंभव लग रहा है। अब हम इस निष्कर्ष पर पहुचे है की। अब राहुल बाबा को अन्ना जी से साथ होना चाहिए और चुनाव में भी घोषणा करना चाहिए की इस बार हमारी के समस्त योग्य और युवा मंत्री ज्यादा होगे..और जो ईमान दार हो।, जो इमानदारी से कार्य कर सके। यही एक चारा है ।, की राहुल बाबा को अब सचेत होके पार्टी को मजबूती के साथ कड़ी करे। क्यों की राहुल बाबा को लोग प्रधान मंत्री के रूप में देखना चाहते है॥ इस परिवर्तन में राहुल बाबा को परिवर्तित हो जाना चाहिए॥ तभी कुछ कामयाबी हासिल होगी,,

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा