सबकी मंजिल एक ...
नजरिया जुदा - जुदा
कोई हंस के तो कोई रोके
जीवन है जीता
कोई देके तो कोई लेके
जीवन फिर भी है चलता
कोई प्यार से ,
कोई मार से अपना
सिक्का है जमाता
समय अपने नज़रिए से
निरंतर है आगे बढती
न कभी रुकी है न रुकेगी
जीवन हर मोड़ पर
एक अनसुलझी पहेली
जिसे सुलझाते हुए
आगे बड़ते जाना है |
न ये तेरी , न ही मेरी
विरासत में कुछ पल के लिए
हमको - तुमको है मिली
आओ कुछ एसा कर दे कि
इसका एहसान उतर जाए
कौन आएगा पलटकर
फिर अपने आस्तिव की
तलाश में ...
आज का गुजरा पल
कल ... हमको देने वाला नहीं
सोने - चाँदी की ठेरी
हम कब तक साथ
रखतें हैं ...
आपस के एहसास ही तो
हमारे हरपल साथ रहतें हैं |
फिर निर्णय लेने में
इतनी देरी क्यु कर हो
बदल लो आजसे ही जीवन
की सफल जीवन हमारा हो |
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर