Skip to main content

‘बोल्डनेस’ शादी से पहले क्यों नहीं दिखाई थी?

‘अजब प्रेम की गजब की कहानी’ कह लीजिए या कुछ और। मामला एकता कपूर के सीरियल की कहानी से भी आगे का है। एकता कपूर ने भी वह सब दिखाने की हिम्मत नहीं दिखाई, जो आरती ने असल जिंदगी में कर दिखाया। रुद्रपुर की आरती का विवाह मेरठ के नीतिश के साथ हुआ था। पहले दिन ही आरती ने नीतिश से कह दिया कि वह विनीत से शादी कर चुकी है। नितीश ने भी शायद भावनाओं में बहकर उसे ‘बहन’ बना डाला। रिश्तों का इस तरह से शायद ही कभी मजाक बना हो। पहले दिन ही आरती का नितीश को असलियत बता देना उसका ‘बोल्ड’ कदम कहा जा सकता है, लेकिन सवाल यह है कि उसने यह ‘बोल्डनेस’ शादी से पहले क्यों नहीं दिखाई थी? आरती जो कुछ कर चुकी थी, उसमें वह सब अपने पिता को बताने की हिम्मत नहीं थी।

सवाल यह है कि शादी के फौरन बाद उसमें अपने पति को असलियत बताने की हिम्मत कैसे आ गई? यदि वह शादी से पहले ऐसा कर पाती तो नितीश की जिंदगी दोराहे पर खड़ी नहीं होती। न ही उसके परिवार की इज्जत तार-तार होती। जैसे इतना ही काफी नहीं था। अब वही आरती अपने पिता के पास पहुंचते ही नितीश और उसके परिवार को अदालत में खींचने की साजिश कर रही है और ‘पत्‍नी’ के बाद ‘बहन’ के रिश्ते को भी बदनाम करने पर तुली नजर आ रही है।

दरअसल, मीडिया ने युवा पीढ़ी को जेट रफ्तार से बहुत आगे पहुंचा दिया है, जबकि समाज अभी पुरानी मान्यताओं और रूढ़िवाद में ही फंसा हुआ है। आरती प्रकरण को भी इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। आरती घर वालों से छुपकर शादी तो कर लेती है, लेकिन रूढ़िवादी पिता के सामने उसे बताने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। अब जब वह पिता के संरक्षण में चली गई है तो एक बार फिर वह सब कुछ करने तैयार है, जो पिता चाहता है।

सच तो यह है कि हम सब के अंदर कहीं न कहीं जातिवाद और धर्म इतना गहरे पैठ किए हुए है कि उससे बाहर आना नहीं चाहते। जो बाहर आना चाहते हैं, उनमें से कई को अपनी जान देकर उसकी कीमत चुकानी पड़ती है। कहने को तो समाज के एक वर्ग ने आधुनिकता और प्रगातिशीलता का लबादा ओढ़ लिया है।

पाश्चाज्य जीवन शैली अपना ली है। खड़े होकर खाना सीख गए हैं। बारातों में सड़कों पर डांस करना सीख लिया है। हम यह कहते नहीं अघाते कि ‘जोड़ियां स्वर्ग’ में बनती हैं, लेकिन जब परिवार का लड़का या लड़की अपनी मर्जी से शादी कर लेते हैं तो पता चलता है कि जोड़ियां स्वर्ग में नहीं बनतीं, समाज बनाता है। प्रेम और विवाह के मामले में घोर परंपरावादी और पक्के भारतीय संस्कृति के रखवाले बन जाते हैं। इन्हीं लोगों में कहीं न कहीं तालिबान वाली मानसिकता छिपी होती है।

हम यह क्यों नहीं सोचते कि इक्कसवीं सदी चल रही है। इस सदी में वह सब कुछ हो रहा है, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। भारत में मल्टीनेशनल कंपनियों की बाढ़ आई हुई है।

इन कंपनियों में सभी जातियों और धर्मो की लड़कियां और लड़के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। सहशिक्षा ले रहे हैं। साथसा थ कोचिंग कर रहे हैं। इस बीच अंतरधार्मिक, अंतरजातीय और एक गोत्र के होते हुए भी प्रेम होना अस्वाभाविक नहीं है। प्रेम होगा तो शादियां भी होंगी। समाज और परिवार से बगावत करके भी होंगी। अब कोई लड़की किसी गैर जाति लड़के से प्रेम कर बैठे तो उसकी जान ले लेना तालिबानी मानसिकता नहीं तो और क्या कही जाएगी? याद रखिए, संकीर्णता और आधुनिकता एक साथ नहीं चल सकतीं। आजकल चल यह रहा है कि आधुनिकता की होड़ में पहले तो लड़कियों को पूरी आजादी दी जाती है। उनसे यह नहीं पूछा जाता कि उन्होंने भारतीय लिबास को छोड़कर टाइट जींस और स्लीवलेस टॉप क्यों पहनना शुरू कर दिया है? मां-बाप कभी अपनी बेटी का मोबाइल भी चैक नहीं करते कि वह घंटों-घंटों किससे बतियाती रहती है। उसके पास महंगे कपड़े और गैजट कहां से आते हैं। जब इन्हीं मां-बाप को एक दिन पता चलता है कि उनकी लड़की किसी से प्रेम और वह भी दूसरे धर्म, जाति या समान गोत्र के लड़के से करती है तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसकती नजर आती है। उन्हें फौरन ही अपनी धार्मिक और जातिगत पहचान याद आ जाती है। भारतीय परंपराओं की दुहाई देने लगते हैं। जमाना तेजी के साथ बदल रहा है। लड़कियां आत्मनिर्भर हुई हैं तो उन्हें अपने अधिकार भी पता चले हैं।

उदारीकरण के इस दौर में प्रेम और शादी के मामले में युवा उदार हुए हैं। लेकिन मां-बाप और भाई उदार होने को तैयार नहीं हैं।

‘इज्जत’ के नाम पर कितनी ही बबलियों को मार दीजिए, युवाओं में परिवर्तन की इस आंधी को नहीं रोका जा सकता है। वक्त बदल रहा है। सभी को वक्त के साथ बदलना पड़ेगा। वरना फिर मान लीजिए कि अफगानिस्तान में तालिबान और भारत में खाप पंचायतें जो कुछ भी कर रही हैं, ठीक कर रही हैं।

दरअसल, भारतीय समाज संकीर्णता और आधुनिकता के बीच झूल रहा है। वह यह ही तय नहीं कर पा रहा है कि उसे किधर जाना है। समाज को यह तो तय करना ही पड़ेगा कि हमारी प्रगतिशीलता की सीमा क्या है? हमें किधर जाना है? (लेखक जनवाणी से जुड़े हैं) उदारीकरण के इस दौर में प्रेम और शादी के मामले में युवा उदार हुए हैं। लेकिन मां-बाप और भाई उदार होने को तैयार नहीं हैं।

Comments

  1. सही कहा आपने।

    एक सलाह है, अपने ब्‍लॉग का टेम्‍पलेट बदल दें। क्‍योंकि पोस्‍ट पढने में दिक्‍कत होती है।

    ------
    जादुई चिकित्‍सा !
    इश्‍क के जितने थे कीड़े बिलबिला कर आ गये...।

    ReplyDelete
  2. आपके आलेख पर टिप्पणी करने से पहले एक बात कहना चाह रहा हूँ कि मैं एक क्षण को चौंक गया था क्योंकि मुझे कुछ भी लिखा हुआ नहीं दिखा यहाँ। बाद में जुगाड़ लगा कर आपका लिखा पढ़ पाया। बाकी पाठक तो कुछ ना लिखा देख चलते बने होंगे तभी तो किसी अन्य की टिप्पणी नहीं मिली, ज़ाकिर जी भी लगभग यही बात कह गए हैं

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally