आजकल इंटरनेट लोगों के दिलों-दिमाग पर इतना राज कर रहा है कि वह अब उनकी रियल लाइफ में भी गहराई तक पैठ बना चुका है और अब अपने विचार व्यक्त करने के लिए कोई भी, किसी भी हद तक खुलेआम जाने के लिए आजाद हैं।
देश वापसी के मुद्दे पर अनशन पर बैठे हाल ही में भ्रष्टाचार और काले धन की
आंदोलन चलाया जा रहा है। दूसरी योगगुरु बाबा रामदेव द्वारा देशव्यापी
तरफ लोकपाल बिल के मुद्दे पर भी अन्ना हजारे भी सरकार के खिलाफ
मोर्चा खोले हुए हैं।
लेकिन इन्हें पसंद करने वाले एक वर्ग के साथ दूसरा वर्ग भी है, जो इनका मजाक उड़ाने में
देश वापसी के मुद्दे पर अनशन पर बैठे हाल ही में भ्रष्टाचार और काले धन की
आंदोलन चलाया जा रहा है। दूसरी योगगुरु बाबा रामदेव द्वारा देशव्यापी
तरफ लोकपाल बिल के मुद्दे पर भी अन्ना हजारे भी सरकार के खिलाफ
मोर्चा खोले हुए हैं।
लेकिन इन्हें पसंद करने वाले एक वर्ग के साथ दूसरा वर्ग भी है, जो इनका मजाक उड़ाने में
किसी भी हद तक जाने को तैयार है। इसी का उदाहरण है फेसबुक पर रामदेव-अन्ना और
यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी-प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्टून, जो इन दिनों
जबर्दस्त तरीके से इंटरनेट की दुनिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं और खुलेआम
इन प्रमुख हस्तियों का माखौल उड़ा रहे हैं।
कार्टून में बाबा रामदेव और अन्ना हजारे को बॉलीवुड फिल्म ‘शोले’ के अमिताभ बच्चन (जय)
कार्टून में बाबा रामदेव और अन्ना हजारे को बॉलीवुड फिल्म ‘शोले’ के अमिताभ बच्चन (जय)
और धर्मेद्र (वीरू) के रूप में एक मोटर साइकिल चलाते हुए दिखाया गया है तो
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सोनिया गांधी के बंदर के रूप में दिखाया गया है,
जिसमें सोनिया गांधी मंदारिन के रूप में प्रधानमंत्री को नचा रही हैं।
ज्ञात हो कि इसी तरह कुछ ही दिन पहले 10 रुपए के नोट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी
ज्ञात हो कि इसी तरह कुछ ही दिन पहले 10 रुपए के नोट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी
टोपी, टी-शर्ट पहने हुए एक कार्टून बनाकर माखौल उड़ाया गया था।
अफसोस की बात यह है कि इंटरनेट पर खुलेआम हमारे प्रमुखों का माखौल उड़ाया
जा रहा है और हमारे इसे रोकने के पर्याप्त कानून नहीं।
आपको क्या लगता है नेट पर सरेआम हमारे प्रमुखों का इस तरह से मजाक
आपको क्या लगता है नेट पर सरेआम हमारे प्रमुखों का इस तरह से मजाक
उड़ाया जाना सही है? क्या इसके खिलाफ भी कोई सायबर कानून
नहीं बनना चाहिए? अपनी राय नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखकर
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निंदक को नियर रखने की परंपरा सदियो से भारत में है मखौल उडाने वाले भी एक निंदक ही है यह तो अधिकार होना चाहिए सही आदमी का काम ही दुनिया को जवाब दे देती है
ReplyDeleteयह सचमुच बहुत ही दुःख की बात है , एक गाने के बोल याद आते है
ReplyDeleteइतनी ममता नदियों को भी
जहाँ माता कह के बुलाते है
इतना आदर इंसान तो क्या
पत्थर भी पूजे जाते है
इस धरती पे मैंने जनम लिया ये सोच के मैं इतराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ ......
यदि किसी को तस्वीर एडिट करने के सोफ्टवेयर पर महारथ हासिल हो गया है तो इसका ये अर्थ नहीं की उसे भारत की महान परम्पराओं को, अपने नेतृत्व को शुशोभित करने वाले लोगों के फोटो से छेड़छाड़ कर के भारत के महान गौरव शाली सभ्यता को ही एडिट करने को महारथ हासिल हो गया है ! तस्वीर एडिट करने के साथ साथ संस्कारों को एडिट नहीं होने देना चाहिए, आप के पास आप्शन है उसे रिपोर्ट करें, देख कर दुखी हो रहें हो तो उसे तुरंत रिपोर्ट भी करें, और सरकार को भी चाहिए की कदम उठाए , सरकार को बहुत पहले ही करना चाहिए था ... वरना इतनी तेजी से आम इंसान लोकतंत्र से विमुख नहीं होता ... कार्टून से कटाक्ष करने की कलाकार की कला ने, उत्सुकता और अति उत्साह ने देश के प्रमुख नेतृत्व के प्रति धीरे धीरे पर मजबूत विमुखता पैदा कर दी है, जिस एक इंसान को या ग्रुप को किसी नेता से अथवा किसी गरिमामय पद पर बैठे इंसान से कुछ शिकायत है तो वो ये भी तो देखे की उसी देश के एक बहुत बड़े वर्ग ने उसी इन्सान को फ़िलहाल उस स्थान पर शुशोभित किया है, तो उस बड़े वर्ग की भावनाओ का भी ख्याल रखना चाहिए ....
'नेता' शब्द में इश्वरत्व को आम जनता ही डालती है और वो ही उसे निकल फेंकती है ! यह सही है की गलत इन्सान से यह इश्वरत्व निकल फेंका जाए पर इसे फेशन बना लेना ही हमारी कमजोरी है ! हमारे भारत में राजा को इश्वर तुल्य माना गया, तो लोक तंत्र में हम इश्वर भले ही न माने पर बार बार अपमान जनक ताने मर कर हम क्या किसी से एक बेहतर नेतृत्व पा सकते है ?
जिस प्रकार नेता को जनता भ्रष्ट भ्रष्ट कहती जाएगी तो क्या नेता जनता को इस्तेमाल करने की चीज़ समझ लेने की सोच से खुद को हलका महसूस नहीं करेगा ?
एक समुद्र के किनारे एक छोटा लड़का और एक छोटी लड़की खेल रही थी ...
लड़की के हाथ में रंगीन पत्थर थे तो लड़के के पास सुन्दर शिपियाँ ... दोनों ने तय किया की पुरे पत्थर देखर पूरी शिपियों की अदला बदली कर लें ... कर ली ...लड़का जाते हुए मन ही मन खुश हो रहा था की उसने कुछ शिपियाँ अपनी जेब में ही रख ली ... पर साथ ही वो आशंकित भी था .. की .. लड़की ने भी पुरे पत्थर दिए भी है के नहीं .. हो सकता है की उस ने भी कुछ रख लिए हो ..पर लड़की के मन में सिर्फ उमंग थी उसे ऐसी कोई शंका न थी .. वो तो मस्त थी अपनी शिपियों के साथ ..भले ही वो संख्या में कम हो ... १००% दो १००% लो ...
यदि आप आशंकित है तो पहले ये तो जांच करें की क्या हम अपना १००% दे रहें है शायद नहीं .... आप क्या सोचते है ? क्या आप ने अपने नेता को १००% दिया , या सिर्फ एक वोट दिया और अब उस से अपार अपेक्छाएं लिए उसे कोस रहें है ? हमें अपने खुद के लिए हुए फैसलों का सम्मान करना सिखाना होगा ... १००% देना होगा
यह सचमुच बहुत ही दुःख की बात है , एक गाने के बोल याद आते है
ReplyDeleteइतनी ममता नदियों को भी
जहाँ माता कह के बुलाते है
इतना आदर इंसान तो क्या
पत्थर भी पूजे जाते है
इस धरती पे मैंने जनम लिया ये सोच के मैं इतराता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ ......
यदि किसी को तस्वीर एडिट करने के सोफ्टवेयर पर महारथ हासिल हो गया है तो इसका ये अर्थ नहीं की उसे भारत की महान परम्पराओं को, अपने नेतृत्व को शुशोभित करने वाले लोगों के फोटो से छेड़छाड़ कर के भारत के महान गौरव शाली सभ्यता को ही एडिट करने को महारथ हासिल हो गया है ! तस्वीर एडिट करने के साथ साथ संस्कारों को एडिट नहीं होने देना चाहिए, आप के पास आप्शन है उसे रिपोर्ट करें, देख कर दुखी हो रहें हो तो उसे तुरंत रिपोर्ट भी करें, और सरकार को भी चाहिए की कदम उठाए , सरकार को बहुत पहले ही करना चाहिए था ... वरना इतनी तेजी से आम इंसान लोकतंत्र से विमुख नहीं होता ... कार्टून से कटाक्ष करने की कलाकार की कला ने, उत्सुकता और अति उत्साह ने देश के प्रमुख नेतृत्व के प्रति धीरे धीरे पर मजबूत विमुखता पैदा कर दी है, जिस एक इंसान को या ग्रुप को किसी नेता से अथवा किसी गरिमामय पद पर बैठे इंसान से कुछ शिकायत है तो वो ये भी तो देखे की उसी देश के एक बहुत बड़े वर्ग ने उसी इन्सान को फ़िलहाल उस स्थान पर शुशोभित किया है, तो उस बड़े वर्ग की भावनाओ का भी ख्याल रखना चाहिए ....
'नेता' शब्द में इश्वरत्व को आम जनता ही डालती है और वो ही उसे निकल फेंकती है ! यह सही है की गलत इन्सान से यह इश्वरत्व निकल फेंका जाए पर इसे फेशन बना लेना ही हमारी कमजोरी है ! हमारे भारत में राजा को इश्वर तुल्य माना गया, तो लोक तंत्र में हम इश्वर भले ही न माने पर बार बार अपमान जनक ताने मर कर हम क्या किसी से एक बेहतर नेतृत्व पा सकते है ?
जिस प्रकार नेता को जनता भ्रष्ट भ्रष्ट कहती जाएगी तो क्या नेता जनता को इस्तेमाल करने की चीज़ समझ लेने की सोच से खुद को हलका महसूस नहीं करेगा ?
एक समुद्र के किनारे एक छोटा लड़का और एक छोटी लड़की खेल रही थी ...
लड़की के हाथ में रंगीन पत्थर थे तो लड़के के पास सुन्दर शिपियाँ ... दोनों ने तय किया की पुरे पत्थर देखर पूरी शिपियों की अदला बदली कर लें ... कर ली ...लड़का जाते हुए मन ही मन खुश हो रहा था की उसने कुछ शिपियाँ अपनी जेब में ही रख ली ... पर साथ ही वो आशंकित भी था .. की .. लड़की ने भी पुरे पत्थर दिए भी है के नहीं .. हो सकता है की उस ने भी कुछ रख लिए हो ..पर लड़की के मन में सिर्फ उमंग थी उसे ऐसी कोई शंका न थी .. वो तो मस्त थी अपनी शिपियों के साथ ..भले ही वो संख्या में कम हो ... १००% दो १००% लो ...
यदि आप आशंकित है तो पहले ये तो जांच करें की क्या हम अपना १००% दे रहें है शायद नहीं .... आप क्या सोचते है ? क्या आप ने अपने नेता को १००% दिया , या सिर्फ एक वोट दिया और अब उस से अपार अपेक्छाएं लिए उसे कोस रहें है ? हमें अपने खुद के लिए हुए फैसलों का सम्मान करना सिखाना होगा ... १००% देना होगा
gagan joshi ...........