लाखो मुकदमें पेंडिग हैं और माननीय न्यायालय बच्चो के स्कूल की छुट्टियो की तरह एक महीने की गर्मियो की छुट्टियां मना रहे हैं ...
लाखो मुकदमें पेंडिग हैं और माननीय न्यायालय बच्चो के स्कूल की छुट्टियो की तरह एक महीने की गर्मियो की छुट्टियां मना रहे हैं ... लाखो मुकदमें पेंडिग हैं और माननीय न्यायालय बच्चो के स्कूल की छुट्टियो की तरह एक महीने की गर्मियो की छुट्टियां मना रहे हैं ...
अंग्रेजो के समय की बात और थी अब तो ए सी की सुविधा हैं जज साहब ....
क्या स्वतंत्र भारत के माननीय न्यायलयो को अपनी महीने महीने भर की छुट्टियो पर पुनर्विचार नही करना चाहिये ...
क्या सुप्रिम कोर्ट मेरी इस खुली जनहित याचिका पर कोई डाइरेक्टिव जारी करेगा !
अंग्रेजो के समय की बात और थी अब तो ए सी की सुविधा हैं जज साहब ....
क्या स्वतंत्र भारत के माननीय न्यायलयो को अपनी महीने महीने भर की छुट्टियो पर पुनर्विचार नही करना चाहिये ...
क्या सुप्रिम कोर्ट मेरी इस खुली जनहित याचिका पर कोई डाइरेक्टिव जारी करेगा !
बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
ReplyDeleteबहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/