Skip to main content

भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जारी रहे ................


विगत दिनों केन्द्र और कई राज्य सरकारों के भ्रष्टाचार और घपले-घोटालों का खुलासा होने से आम जनता व्यथित और आक्रोशित थी। यद्यपि संसद से लेकर सड़क तक इसके खिलाफ अनेक अभियान चल रहे थे लेकिन वामपंथी दलों को छोड़ अन्य अभियान चलाने वालों की विश्सनीयता जनता के बीच संदिग्ध थी। ऐसे में एक गैर राजनीतिक मंच से शुरू हुए आन्दोलन के प्रति जनता के कतिपय हिस्सों का लगाव स्वाभाविक था और जनता को उम्मीद जगी कि भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग शुरू हो चुकी है। लेकिन अन्ना हजारे और भारत की पूंजीवाद सरकार में लोकपाल कानून पर नागरिक समाज (सिविल सोसाईटी) और केन्द्र सरकार में कांग्रेस पार्टी के मंत्रियों की एक समिति गठित करने पर अंततः सहमति बन गयी।

पूंजीवादी समाचार माध्यमों ने घोषणा कर दी है, ”जनता जीत गयी है“, ”इंडिया जीत गया है“ आदि-आदि। कुछ ऐसा दिखाने की कोशिश की जा रही है कि आज से भ्रष्टाचार हिन्दुस्तान में समाप्त हो जायेगा। यह भी दर्शाया जा रहा है कि जन लोकपाल कानून ऐसा कानून होगा जिसमें भ्रष्टाचार से निपटने की सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान शक्तियां सन्निहित होंगी। अगर ऐसा हो पाता है तो हमारी शुभकामनायें। लेकिन मीडिया के इन डायलागों से भ्रमित होने की जरूरत नहीं है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि प्रस्तावित कानून स्वयं में चाहे कितना शक्तिशाली हो लेकिन अगर प्रस्तावित अधिकरण या एजेंसी में बालाकृष्ण और थॉमस जैसों को बैठा दिया जायेगा तो उस कानून का हस्र क्या होगा?

भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष इतना आसान भी नहीं है। अंततः जनता द्वारा लोकतंत्र में चुनावों के दौरान इससे निपटने की समझदारी जब तक विकसित नहीं होती, चुनावों में जनता भ्रष्टाचारियों को धूल चटाने के लिए कटिबद्ध नहीं होती तब तक यह संघर्ष परवान नहीं चढ़ सकता और हमें इसके लिए संघर्ष जारी रखना है।

वैसे तो भ्रष्टाचार हमेशा से कई रूपों में भारतीय समाज में चला आ रहा है। वह आजादी के बाद और भी फूला फला। लेकिन दो दशक पहले तक मात्रात्मक रूप से यह जितना फल-फूल नहीं पाया था, उससे कई गुना वह पूंजी परस्त आर्थिक नीतियों - ”उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण“ के दौर में फला-फूला और नई बुलन्दियों को छुआ। पिछले दो सालों के अन्दर केन्द्रीय सरकार के अनगिनत संस्थागत भ्रष्टाचार खुल चुके हैं और उससे कहीं कई गुना ज्यादा अभी जनता के सामने आने बाकी हैं। उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार के भी कई मामले खुले और कई अभी खुलने बाकी हैं। उन घपलों-घोटालों का नाम बार-बार उद्घृत करने की कोई आवश्यकता नहीं है। न ही संप्रग-2 सरकार में शामिल अथवा बाहर से सहयोग दे रहे सपा-बसपा जैसे राजनीतिक दल भ्रष्टाचार से मुक्त हैं और न ही प्रमुख विपक्षी दल भाजपा और उसके सहयोगियों के ही दामन साफ हैं।

लगातार खुल रहे घपलों और घोटालों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आम जनता के मध्य गुस्सा पैदा किया था। इस आन्दोलन की इस सतही सफलता ने जनता के एक तबके के मध्य इस गुस्से की धार को कम करने का काम किया है। हमें बहुत ही मुस्तैदी के साथ इस प्रक्रिया को रोकना है। इस आन्दोलन की यह अल्प सफलता कोई मील का पत्थर नहीं है। भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष में मेहनतकश तबकों और आम अवाम की जीत नहीं है जैसाकि मीडिया चिंघाड़-चिंघाड़ कर हमारे ऊपर लादने की कोशिश कर रहा है। चन्द लोगों के आत्म-अनुभूत हो जाने मात्र से न तो भ्रष्टाचार मिट जायेगा और न ही भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष की जरूरत समाप्त हो जायेगी।

संसद पर ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित 3 लाख मजदूरों की रैली अखबारों की सुर्खियां तो छोड़िए किसी कोने की न्यूज भी नहीं बनतीं। मजदूर-किसानों के बड़े-बड़े संघर्ष छोटी-मोटी न्यूज नहीं बनते। लेकिन किन कारकों से चन्द हजार लोगों का जमाबड़ा पूंजी नियंत्रित समाचार माध्यमों में बड़ी जगह और बड़ा महत्व पा जाता है? आम और निरन्तर संघर्षरत जनता को इसकी गहन मीमांसा की जरूरत है और इस दुरभिसंधि को समझने की जरूरत है। इससे जनता के व्यापक तबकों को इस प्रकार के आन्दोलनों के निहितार्थों को समझने में मदद मिलेगी।

वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था का उप-उत्पाद है भ्रष्टाचार जो अकेले फलता-फूलता नहीं बल्कि महंगाई, बेरोजगारी, बढ़ती असमानता तथा समाज के जातीय, धार्मिक एवं क्षेत्रीय संकीर्ण विभाजन के साथ मेहनतकशों का जीवन दूभर करता है। इन सभी बुराईयों का अन्त वर्तमान व्यवस्था के अन्त में सन्निहित है। इसलिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई मूलतः वर्तमान व्यवस्था और उसके अन्यान्य जन विरोधी उप-उत्पादों के खिलाफ अनवरत चलने वाले संघर्ष का ही आवश्यक हिस्सा है और हमें इसके खिलाफ लड़ाई में व्यापक जन लामबंदी जारी रखनी है। हमें असंगठितों को संगठित करने, आम जनता में वर्गीय चेतना को विकसित करने तथा उन्हें वर्तमान व्यवस्था के खिलाफ उनके स्वयं के हित में संघर्ष करने के लिए प्रेरित करना है। मौजूदा भ्रष्ट सरकारों और राजसत्ता के खिलाफ जनता के आक्रोश को ठंडा करने की कारगुजारियों पर हमें नजर रखनी होगी। आमजन को भी आगाह करना होगा।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जारी है और जारी रहेगी.............

प्रदीप तिवारी

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally