भ्रष्टा चार की तूती बोले भारत के सारे ठिकानों पे॥ जनता अबतो ऊब चुकी है आवाज़ पड़ी जब कानो में॥ दें लें कर काम है चलता भ्रष्ट हुआ है शाशन॥ अब मिलावट जम के होती जहर बना है राशन॥ सरकार कब चुप्पी तोड़ेगी महगाई है आसमानों में॥ अब आन्दोलन शुरू हुआ है कुछ तो हल अब निकलेगा॥ या तो भाग्य बदल जाएगा या महाकाल ही जकदेगा॥ तकदीर बदल के अब छोड़ेगे रहेगा न नाम बवालों में...
केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..
काफी खूबसूरत
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