होली
होली,
परम्परा को मारे गोली,
खूब करो हुल्लड़,
गुरू के सिर पर,
फोड़ दो कुल्लड़।
गरिमा,
गुरू-भक्ति,
दहन कर दो होरी में
अच्छा मौका है,
आज,
गुरूजी को,
डाल दो मोरी में।
कक्षा में पिलाते थे डॉट
आधुनिक शिष्य,
होली का बहाना,
आज,
गुरूजी की तोड़ दी खाट।
अरे! ये कौन सी शिक्षा दे रहे हैं भाई !!
ReplyDeleteआपको, आपके परिवार को होली की अग्रिम शुभकामनाएं!!
आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
ReplyDeletehttp://vangaydinesh.blogspot.com/2011/03/blog-post_12.html