Skip to main content

हिन्दुस्तान के अनवर भाई का दर्द हे जो हम सभी का दर्द हे

बीवी से कोन नहीं डरता अनवर साहब भी डरते हें लेकिन मन की भी करते हें

जी हाँ दोस्तों डोक्टर अनवर जमाल साहब की चोरी पकड़ी गयी बात घर की हे पर्दे में रहना चाहिए थी लेकिन चोरी पकड़ी गयी रोशन बजाज हो गया और डोक्टर अनवर जमाल का जमाल बीवी के डर में केद हो गया , बात घर की हे इसलियें किसी से कहने की जरूरत नहीं हे वचन दो भाई आप यह सच किसी को प्लीज़ मत बताना हमारे अनवर भाई एक बहतरीन ब्लोगर हें, एक साहित्यकार हे, एक लेखक हे ,रचना कार हे, पत्रकार हें , मार्ग दर्शक हें या यूँ कहिये के ब्लोगर की दुनिया के सरताज हे कुछ सच और कडवा लिखते हें इसलियें कई लोगों के निशाने पर हे लेकिन ब्लोगिस्तान क्षेत्र में इनकी सेवा हमेशा यादगार रहेगी , ब्लोगिस्तान में सभी को नाकों चने चबाने का साहस रखने वाले यह ब्लोगर भाई घर में नेक पिता हे तो पति भी हे बस अब इनका रोल इन्हीं के शब्दों में सुनिए ......................... ।
एक टिप्पणी के दोरान भाई अनवर जमाल ने डरते डरते लिखा हे के उनके बच्चे को मेथ्स पढाने का हुक्म दिया गया वोह बच्चे को मेथ्स पढ़ा रहे थे के भाभीजी अचानक कहीं चली गयीं बस फिर क्या था सभी पति घर में शेर तो होते हें लेकिन सर्कस के शेर हो जाते हें उनका मास्टर हन्टर लिए पत्नी उनसे मनमाना करतब दिखवाती हे बस आज़ादी मिली नहीं अनवर भाई निरंकुश हो गये उन्होंने बच्चे को पढ़ने का अनुशासन तोडा और वापस गुपचुप ब्लोगर हो गये ब्लॉग खोला ब्लॉग पढ़े और टिप्पणिया दे डालीं भाई अनवर ने अपने इन बन्धनों को जिन शब्दों में पेश किया हे वेसे तो वोह एक चुटकुला हे लेकिन एक कटु सत्य भी हे ब्लोगिंग का नशा इन दिनों जिनको भी चढा हे वोह परिजनों के लियें विलेन बन गये हें शादी शुदा मर्दों के लियें तो ब्लॉग एक सोतन बन गयी हे लेकिन जो बहनें गृहणियां हें और ब्लोगिंग के माध्यम से सेवा कर रही हें वोह तो कमाल करती हें उनको नमन उनको सलाम हे के बहनें किन परिस्थितियों में ब्लोगिंग का प्रचार कर रही हें सभी बहनों और आंटियों को इसके लियें मुबारकबाद ,।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा