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सरकार अपने दायित्व का प्रयोग नहीं कर पा रही है...

जिस प्रकार से हमारे देश में बेईमानी ,महगाई,,भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है ॥ सरकार परेशान है ,विरोधी खूब तीर चला रहे है... प्रधान मंत्री जी भी सोच में पद गए है... लेकिन जब ऐसी स्थिति आये जिसमे देश और देश वाशी को कोई कठिनाई झेलना पड़े उस समय अपनी सत्ता के कार्यो का विश्लेषण करना चाहिए और कमियों को दूर कर देना चाहिए चाहे कितना कठोर होना पड़े पर निर्दयी नहीं... हमारी सरकार को इन बातो पर विचार करना चाहिए...
अगर आप देल्ली के किसी भी रेहड़ी वाले के पास चले जाइए और पूछिए भाई हमें भी यही कही दूकान लगाना है पुलिस वाले को और कमिटी वाले को किताना देना पडेगा तो वह बताएगा की मै कितना देता हूँ...
होटलों ,दुकानों,दफ्तरों में कम उम्र के बच्चे काम करते नज़र आते है...
सड़को पर हमारे देश की दस साल की लड़किया भीख मागती मिलाती है...
हर एक एरिया में देशी दारू गांजा चरस का मिलना...
सरकार sab जानती है लेकिन अपने दायित्व का प्रयोग नहीं कर रही है.... सरकार अपने दायित्व का प्रयोग नहीं कर पा रही है...

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...