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होली के रंग हजार

होली के रंग हजार  नहीं लाख नहीं करोड़ों करोड़ होते हें आप भाइयों और बहनों की जिंदगी होली के इन खुबसुरत रंगों से सजी और संवरी हे और खुदा करे जिन लोगों की जिंदगी के रंग में जरा भी भंग पढ़ा हे उनकी जिंदगी फिर से खुशियों के रंग से भर जाए लेकिन इस त्यौहार को भी मिलावट की नजर लग गयी हे रंगों की इस दुनिया को मिलावट की दुनिया बनाने वाले एक व्यापारी का कोटा में वाट लगाई गयी हे . 
दोस्तों कोटा में एक व्यापारी उद्ध्योग के नाम पर कोटा स्टोन का चुरा मिला कर गुलाल बना रहा था जो लोगों की खाल चेहरे बिगाड़ने के लियें काफी हे यहाँ रसद अधिकारी ने जब एक सुचना पर छापा मारा तो वहां करीब सो क्विंटल कच्चा पाउडर और रंग बरामद किया गया पच्चीस पेसे प्रति किलो बनने वाले इस गुलाल को यह जनाब सरे राजस्थान में दस रूपये किलों में बेच चुके थे इनके रजिस्टर से पता चला के कुछ दिनों में ही दस लाख रूपये का जहर यह जनता में बेच चुके हें अब पुलिस और रसद अधिकारी जी इस पशोपेश में हें के इन जनाब के खिलाफ मुकदमा कोंसे कानून और धरा में किया जाए क्योंकि जो कानून कहता हे वोह तो यह करते नही राजनितिक पहुंच होने के कर्ण रस्मन कार्यवाही केसे हो अखबारों में खबर केसे बने और नतीजा ढ़ाक के तीन पात निकल कर मामला की रफा दफा किया जाए . 
तो दोस्तों यह तो एक सच्चाई हे हमारे देश में इन दिनों नकली सामानों की बिक्री नकली चेहरों की सजावट नकली अभिनय नकली रिश्तों की भरमार हे और इसी लियें सब कुछ बिगड़ता जा रहा हे जबकि होली के रंग खुबसुरत रंग लोगों के दिलों में नई उमंग नया प्यार अपनापन पैदा करते हें और इस होली को भी हम ऐसे ही नये दोर के साथ आदर्श आधुनिक होली बना कर मिसाल कायम करे सभी ब्लोगर भाई बहनों में अगर किसी तरह के कोई गिले शिकवे हों तो एक बार हाँ एक बार इस अवसर पर भुला कर गले लगे एक दुसरे को प्यार करे अपनापन दें बस देखो होली का यह रंग कितना खुबसूरत हो जाएगा तो दोस्तों पहल मेरी तरफ से हे निश्चित तोर पर इंसान गलतियों का पुतला होता हे और ब्लोगर की दुनिया में शायद सबसे गलत कोई हे तो वोह में नम्बर वन हूँ इसलियें भाइयों बहनों में सभी से हाथ जोड़ कर अपनी गलतियों के लियें माफ़ी मांगना चाहता हूँ और चाहता हूँ के आप भाई बहने मुझे मेरी सभी गलतियों के लियें मुझे माफ़ करें तो एक बार फिर रंगों की खूबसूरती बिखेर कर अपनेपन का अहसास दिलाने वाली होली और बुराइयों को जला देने वाली इस होली पर अपनी बुराइयों को जलाकर राख कर दें बुराई के रावण को ख़ाक कर दें और अच्छाई के प्रति  एक विश्वास एक सद्विश्वास को सभी के बीच बिखेर कर खुशियाँ और प्यार की खुशबु बिखेर दें में जानता हूँ यह मेरे लियें छोटा मुंह बढ़ी बात हे लेकिन क्या करें में ऐसा ही हूँ ........................ . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...