ब्रज ग्वालों की कैसी होली?
होली के हुड़दंग में,
तुम तो खेलो होली।
मिठाई गुलाल हाथ में लेके,
रंग की डालो झोली।।
रंग की डालो झोली,
आई गोपिन की टोली।
अब तो देखो लाल, लाल ही,
लालवती की रंग दो चोली।।
ब्रज बालाओ आज देख लो,
ब्रज ग्वालों की कैसी होली?
अब न बचोगी तुम तो रंग से,
चाहे बना लो कितनी टोली।।
बचें न श्री दामा घनश्याम,
राधा का भी है ऐलान।
राष्ट्रप्रेमी खेलो तुम होली,
सुबह देखो ना शाम।।
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--- संजय सेन सागर