Skip to main content

हिंदुस्तान का दर्द यह भी हे


बरी होने के बाद भी वारंट में गिरफ्तारी
Wednesday, February 23, 2011
#fullpost{display:none;}
भारत का कानून हे के देश के किसी भी व्यक्ति को विधि विरूद्ध तरीके से जेल नहीं भेजा जा सकता लेकिन एक फेसला शुदा मुकदमा जिसमें कथित रूप से सरकारी गलती के चलते वारंट जारी हुआ हो और वापस नहीं मंगाया हो तो किसी आम आदमी को और आम आदमी नहीं मजदूर नेता को अगर जेल भेज दिया जाए और फिर उसे गलती पकड़ में आने पर छोड़ना पढ़े तो देश के कानून के लियें इससे बढ़ी शर्म की बात और क्या हो सकती हे ।राजस्थान में अभी वारंटियों की धरपकड के अभियान चलाए गये यहाँ ४० हजार से भी अधिक वारंटियों को पुलिस पकड़ नहीं रही थे वर्षों से वारंट थानों में धूल चाट रहे थे अभियान चला अवार्न्त की पत्रावलियों से धूल झाडी गयी और फिर धर पकड़ अभियान चला कई पत्रावलियों के फेसले हो गये फिर भी वारंट थाने में नह पढ़े रहे पुराने वारंट थे पुलिस कर्तव्यों की पालना नहीं कर रही थी इसलियें वारंट जमा होते गये अव्वल तो अब तक जी अधिकारीयों ने इन वारंट पर कार्यवाही नहीं की थी उन्हें नामजद कर दंडित करना जरूरी हे फिर जल्दबाजी में अभियान के रूप में वारंट तमिल हुए कोटा के मजदूर नेता और सी पि आई एम के पोलित ब्यूरो सदस्य कोमरेड आर के स्वामी के घर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने जा पहुंची उनी पत्नी ने सम्बन्धित मूक़द्में में जब बरी होने की बात कही तो पुलिस ने एक नहीं सुनी स्वामी के वकील एडवोकेट जमील अहमद फेसले का रजिस्टर लेकर थाने पहुंचे तो भी पुलिस ने उनकी बात पर यकीन नहीं किया और एक अपराध में बरी होने वाले स्वामी को गिरफ्तार कर लिया ,इतना होता तो ठीक था स्वामी को कोर्ट में पेश किया कोर्ट में बरी होने का तथ्य बताया गया लेकिन बेकार कोर्ट ने एक नहीं सुनी फ़ाइल मंगाने तक स्वामी को जेल भेज दिया अब स्वामी जी जिस मामले में बरी थे उसमें अनावश्यक न्यायिक आदेश से जेल भुगत रहे थे ऐसा एक मामला नहीं दो मामले थे बस दो दिन बाद पत्रावली न्यायालय में आई तो न्यायालय के होश फाख्ता हो गये जो स्वामी और उनके वकील जमील अहमद बरी होने का तथ्य बताते थे वोह सही साबित हुआ अब इस अवेध हिरासत मामले में पुलिस और न्यायालय खुद कठघरे में हे लेकिन स्वामी जी क्या करते हें इसकी शिकायत हाईकोर्ट और अधिकारीयों को करते हें या नहीं पुलिस वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाते हें या नही यह तो वक्त ही बतायेगा लेकिन कोटा और राजस्थान में ऐसे सेकड़ों मामले हे जिनमे इस तरह की नाजायज़ हिरासतें हुई हे अब आम जनता की बात दूसरी हे वोह सहती हे लेकिन स्वामी जी अगर चुप रहेंगे तो जनता को इन्साफ नहीं मिलेगा इसलियें अब लोग उनके पीछे इस मामले में दोषियों को दंडित करवाने के लियें पढ़ गये हे ताकि बाद में किसी भी व्यक्ति के साथ ऐसा अन्याय होने से पहले इस मामले में पुलिस और न्यायालय को सोचना पढ़े । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थानRead more...
checkFull("post-" + "8711302429558003172");

Posted by अख़्तर खान 'अकेला' at 7:20 PM , 0 comments

अफजल गुरु से भी बढ़ी गुरु तो सरकार निकली
#fullpost{display:none;}
दोस्तों देश और विपक्ष अफजल गुरु की फांसी का नारा दे रहा हे अफजल गुरु की दया याचिका राष्ट्रपति के यहाँ से खारिज कराने का विपक्ष और खासकर भाजपा और शिवसेना का जबर्दस्त दबाव रहा हे यहाँ तक के इसे चुनावी मुद्दा बनाया गया हे मिडिया इस मामले में सीधा सम्बन्धित रहा हे लेकिन खोदा पहाड़ और निकली चुहिया वाला मामला साबित हुआ हे ।अफ़सोस दर अफ़सोस भारत के इतिहास में ऐसा पहला वाकया नहीं कई और मामले भरे पढ़े हें जिनकी तरफ सरकार और मिडिया विपक्ष का ध्यान नहीं हे अफजल गुरु को ४ अगस्त २००५ में फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम रूप से सुनाई थी और उसने केंद्र सरकार को राष्ट्र पति जी तक पहुँचने के लियें एक दया याचिका दी थी जो आज तक भी राष्ट्रपति जी तक नहीं पहुंची हे अब केंद्र सरकार का विधि विभाग क्या हे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता हे ।यह सही हे के अफजल गुरु के फेसले में वैधानिक कई अनियमितता हें सबसे बढ़ी अनियमितता तो यह हे के उसे उसके बचाव के लियें संविधान के प्रावधानों के तहत कोई वकील सरकारी खर्च पर उपलब्ध नहीं कराया गया और बिना अब्चाव का अवसर दिए उसे दंड दिया गया हे लेकिन अब यह फेसला सुप्रीम कोर्ट का था इसलियें सरकार को गलती सूधारने का अवसर नहीं मिलता हे हाँ कसाब के मामले में सरकार ने इस भूल को सुधार हे और इसीलियें कसाब को बचाव के लियें भारतीय कानून और विधान के तहत सरकारी खर्च पर वकील उपलब्ध कराया गया हे लेकिन अफजल गुरु को बिना कानूनी बचाव के फांसी की सज़ा का आदेश होने पर भी अब मेरिट पर बचाव का कोई रास्ता नहीं हे बस शायद सरकार को यह खतरा हे के विधि और संविधान के रक्षक महामहिम राष्ट्रपति के विधि विशेषज्ञों ने अगर इस घोर अन्याय का खुलासा कर दिया तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सरकार मुसीबत में पढ़ जायेगी और भारतीय न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठ खड़े होंगे इसलियें इस दया याचिका को सरकार ने रोक लिया लेकिन यह देश की जनता के साथ विश्वास घात हे कोंग्रेस के प्रवक्ता खुद इस दया याचिका पर आरोप लगें के बाद जवाब देते रहे हें के राष्ट्र पति के यहाँ यह याचिका पेंडिंग हे तो फिर यह गलत फहमी वाले बयान सरकार और उसकी पार्टी के प्रवक्ता ने ऐसे बयान किन आधारों पर जारी किये देश को अफजल गुरु के नाम पर इनता बढ़ा धोखा देकर सरकार अब अफजल गुरु से भी बढ़ी गुरु साबित हो गयी हे जिसका अपराध इस मामले में अक्षम्य हे लेकिन क्या करें जनता का राज हे यानी जनता का जनता के लियें जनता द्वारा शासन स्थापित हे और जब शासक जनता हो और शासक जनता हाथ पर हाथ धरे बेठी रहे तो फिर अपराधी तो शासक जनता ही हे ................ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थानRead more...
checkFull("post-" + "1422974125948212573");

Posted by अख़्तर खान 'अकेला' at 7:06 PM , 0 comments

राजस्थान हाईकोर्ट के जज के यहाँ तोड़फोड़
#fullpost{display:none;}
राजस्थान में हाईकोर्ट जज भगवती प्रसाद शर्मा की एक वकील के खिलाफ कानून बताने पर न्यूसेंस करने की टिप्पणी के बाद वकील और जज में भिडंत हो गयी जब बात बढ़ गयी तो जज साहब ने तो पुल्लिस बुला ली और वकीलों ने आक्रामक रुख अपनाते हुए जज के चेम्बर में तोड़ फोड़ की ।राजस्थान के न्यायिक इतिहास में ऐसी घटनाएँ नई नहीं हें आजकल वकील और जज में न्यायिक अव्यवस्था के चलते दूरियां बढती जा आरही हे वकील अदालतों में कोई भी कानून अगर पेश करे हाईकोर्ट सुप्रीमकोर्ट के द्र्स्तांत पेश करे तो उन पर अदालतें तवज्जो नहीं देती हें खासकर जमानत जो किसी भी आरोपी का संवेधानिक अधिकार हे उसमें तो जज और मजिस्ट्रेट अपने विविकाधिकार का जमानत ख़ारिज करने में ही दुरूपयोग करते हें आजकल मामला छोटा सा होता हे लेकिन अगर पूर्व मामलों की सूचि होती हे तो अदालत इस नये मामले के तथ्यों पर टी नहीं जाती हे केवल पुराने मुकदमे हें इसी आधार पर जमानतें ख़ारिज कर देती हें इन मामलों में न्याय कहां हे , कानून कहता हे के प्रत्येक मामले के तथ्यों को देख कर ही फेसला किया जाना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा हे राजस्थान की जिला अदालतों खासकर कोटा की अदालतों और कोटा के मामलों में हाईकोर्ट के जमानत मामलों के आदेशों की सुप्रीम कोर्ट अगर अपने स्तर पर समीक्षा करवाए तो सुनवाई और आदेश में विवेकाधिकार के दुरूपयोग की खुद गंध नजर आ जायेगी बस वकील चाहता हे के उसे उसके पक्षकार की तरफ से सारी बात कहने और कानून बताने का पूरा अवसर दिया जाए लेकिन जज कहते हें हमारे पास वक्क्त नहीं हे वकील फ़ालतू बकवास करते हें तो फिर इन्साफ कहां रहा कल की राजस्थान हाईकोर्ट की घटना इसी गुस्से का नतीजा हे और इस व्यवस्था को सूधारने के लियें सभी न्यायालयों में कमरे लगना जरूरी हे ताकि क्या हो रहा हे जज क्या कर रहा हे वकील पक्षकार क्या कर रहे हे उसकी असली तस्वीर कमरे में केद हो और दोषी जो भी हो उसे दंडित किया जा सके । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थानRead more...
checkFull("post-" + "5038012160770979953");

Posted by अख़्तर खान 'अकेला' at 6:53 PM , 0 comments

संक्रमित ग्लूकोस से प्रसुताओं की म़ोत
#fullpost{display:none;}
राजस्थान में मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर में अस्पताल में दवाओं की घटिया सप्लाई और संक्रमित ग्लूकोस की सप्लाई के बाद प्रसुताओं को यह ग्लूकोस चढ़ने से यहाँ अब तक १२ प्रसुताओं की म़ोत हो गयी हे प्रशासन ने इस की जांच करवाई जिसमें संक्रमित ग्लूकोस की पुष्टि हुई हे ।राजस्थान में सरकारी दवा की सप्लाई में गम्भीर घोटाले हें और हालात यह हें के यहाँ अधिकतम मोतें सरकारी नकली दवाओं से हो रही हे इस मामले में गत दो वर्षों के हिसाब किताब और दवा सप्लाई की जांच जरूरी हो गयी हे क्योंकि यहाँ चिकित्सक लापरवाही से आये दिन मोतों के सिलसिले चल रहे हें एक मरीज़ जब डोक्टर के पास इलाज कराने जाता हे तो वहां डोक्टर मरीज़ को ठीक करने की जगह उसकी जेब चारों तरफ से ढीली करने के बारे में सोचते हे मरीज़ को पहले तो लम्बी लिस्ट दवाओं की दी जायेगी जो महंगी होंगी और कमिशन की दवाएं होंगी इसके बाद अनावश्यक जांचें जो अमुक दूकान से ही करवाना जरूरी होगी फिर मरीज़ को अगर दवा दी गयी तो फिर वो नकली दवा मिलेगी तो मरीज़ ठीक होने के स्थान पर आर्थिक रूप से लूट कर या तो मर जाता हे या फिर असाध्य रो से पीड़ित हो जाता हे हमारे राजस्थान का ओषधि विभाग इस मामलें में करोड़ों कमाने में लगा हे हालात यह हे के बिना पर्चे के दवाएं बिक रही हे नकली दवाएं राजस्थान में निर्मित हो रही हें और अस्पताल में जो दवाएं सप्लाई होती हे उनकी कोई जांच नहीं होती हे ऐसे में यहाँ बे हिसाब मोतें तो होना ही हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थानRead more...
checkFull("post-" + "6026939979028943252");

Posted by अख़्तर खान 'अकेला' at 6:46 PM , 0 comments

पूर्व कोटा जिला जज धर्म सिंह मीणा निलम्बित
#fullpost{display:none;}
पूर्व कोटा जिला जज रहे डोक्टर धरम सिंह मीणा को जोधपुर लेबर जज पद पर कार्यरत रहते कोटा में नियुक्ति के दोरान आक्षेपित कार्यों के लियें निलम्बित कर दिया गया हे ।डोक्टर धर्म सिंह मीणा वर्ष २००९ से २०१० तक कोटा में जिला जज पद पर नियुक्त थे इनके कार्यकाल में काफी लम्बी हडताल वकीलों की रही और जो कार्य दिवस रहे उन कार्य दिवसों में इन जज साहब ने कोई खास कम नहीं किये जो कम किये वोह अनियमित रहे या अफिर समझाइश वाले रहे इनकी पुत्री की आत्महत्या के बाद दामाद के खिलाफ इन्होने मुकदमा दर्ज करे लेकिन बाद में दामाद ने भी इनके खिलाफ मुकदमा अद्र्ज करा दिया था , कोटा के वकीलों ने इन्हें पहेल खुद के आचरण में सुधर की चेतावनी दी थी और जब इनका आचरण नहीं सुधरा तो कोटा अभिभाषक परिषद के तत्कालिक सचिव मनोज पूरी ने वकीलों की आम सभा बुला कर सर्वसम्मती से फेसला लेकर डोक्टर धर्म सिंह मीणा की लिखित शिकायत हाईकोर्ट में की थी और इस शिकायत और धर्म सिंह को कोटा से हटा कर अजमेर लगाया गया था अभी हाला ही में राजस्थान हाईकोर्ट ने इन जज साहब के खिलाफ शिकायतों पर रजिस्ट्रार विजिलेंस को कोटा जाँच के लियें भेजा था जिसमें मुझ सहित कई वकीलों के बयान रिकोर्ड किये गये थे और इसी जाँच के बाद जज रहे मीणा को कल निलम्बित कर दिया हे । डोक्टर धर्म सिंह मीणा खुद राजस्थान हाईकोर्ट जज बनने की दोड़ में लगे थे और इसके लियें इन्होने जी तोड़ महनत की थी लेकिन इनका नाम दिल्ली से वापस भेज दिया गया था और इन्हें हाईकोर्ट जज नहीं बनाया गया था तब से ही इनकी संदिग्ध कार्यवाहियों के चलते इनके खिलाफ जांच विचाराधीन थी जिसका फेसला अब हुआ हे कोटा के वकीलों की शिकायत पर अब तक कई दर्जन जज और मजिस्ट्रेट निलम्बित और जबरी सेवानिव्र्त्ति के शिकार होते रहे हें क्योंकि कोटा के वकील किसी भी भर्स्ट या अभद्र निठल्ले जज को बर्दाश्त नहीं करते हें और जो जज बहतरीन होता हे उसको पलकों पर बिठा कर उसका स्वागत करते हें इसीलियें कोटा के वकीलों का लोहा राजस्थान के न्यायिक इतिहास में मन जाता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थानRead more...
checkFull("post-" + "2063575649597156201");

Posted by अख़्तर खान 'अकेला' at 6:36 PM , 0 comments

कोंग्रेस के विधायक की मंत्रियों को लताड़
#fullpost{display:none;}
राजस्थान में कोंग्रेस के विधायक डोक्टर रघु शर्मा यहाँ मंत्रियों को अनाप शनाप कहने के लियें मशहूर रहे हें कभी यह पंचायत मंत्री भरत सिंह पर हमला करते हुए कहते हें के इस मंत्री का दिमाग ठीक नहीं हे इसलियें इनके दिमाग का तुरंत इलाज कराया जाए तो कभी विधानसभा में ही यह मंत्रियों को घेर लेते हें ।अपने इसी स्वभाव के चलते कल विधान सभा राजस्थान में प्रश्न काल के दोरान जब रघु शर्मा के पेंशन स्म्म्बन्धित सवाल का जवाब मंत्री द्वारा नहीं दिए जाने पर प्रश्न स्थगित किया गया तो रघु शर्मा भडक गये उन्होंने कहा के आखिर मंत्री यहाँ क्या करते हें विपक्ष हो या पक्ष यह मंत्री सोते रहते हें और १५ दिनों के बाद भी प्रश्नों का जवाब तय्यार कर नहीं दे सकते हे तो ऐसे मंत्रियों के खिलाफ कार्यवाही करना चाहिए उन्होंने सभा पति से भी आग्रह किया के ऐसे मंत्रियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही जब तक नहीं होगी तब तक यह मंत्री सुधरेंगे नहीं ।विधान सभा में कोंग्रेस के विधायक की इस विपक्षी तेवर वाली भूमिका देख कर सभी मंत्रियों और विधायकों को सांप सूंघ गया और और विपक्ष ने उनकी बात का समर्थन किया , रघु शर्मा का यह गुस्सा गेर वाजिब नहीं हे सरकार और सरकार में बेठे मंत्री इन दिनों निरंकुश हो गये हें जब मंत्री निरंकुश हें तो अधिकारी और कर्मचारी तो निरंकुश होना ही हे ऐसे में इन हालातों में राजस्थान सरकार को अपने गिरेबान में झाँक कर इन गलतियों को सूधारने के लियें आत्म चिन्तन मंथन करना चाहिए। अकह्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Comments

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally