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समर्पण


चाँद तारों की बात करते हो 
हवा का  रुख  बदलने की  
बात करते हो 
रोते बच्चों को जो हंसा दो 
तो मैं जानूँ |
मरने - मारने की बात करते हो 
अपनी ताकत पे यूँ इठलाते  हो  
गिरतों को तुम थाम लो 
तो मैं मानूँ |
जिंदगी यूँ तो हर पल बदलती है
अच्छे - बुरे एहसासों से गुजरती है  
किसी को अपना बना लो 
तो में मानूँ |
राह  से रोज़ तुम गुजरते हो 
बड़ी - बड़ी बातों  से दिल को हरते हो 
प्यार के दो बोल बोलके  तुम 
उसके चेहरे में रोनक ला दो 
तो मैं जानूँ |
अपनों के लिए तो हर कोई जीता है 
हर वक़्त दूसरा - दूसरा  कहता है |
दुसरे को भी गले से जो तुम लगा लो 
तो मैं मानूँ |
तू - तू , मैं - मैं तो हर कोई करता है 
खुद को साबित करने के लिए ही लड़ता है 
नफ़रत की इस दीवार को जो तुम ढहा दो 
तो मैं मानूँ |

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

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