हर दम तो साथ - साथ रहता है !
जेसे हमसे ही वो कुच्छ कहता है !
माँ भी तो हर दम जान जाती है !
इशारों - इशारों मै सब कुछ बताती है !
जब वो थोडा और बड़ा होता है !
घुटनों के बल इधर - उधर डोलता है !
माँ का दम ही निकल जाता है ,
जब वो थोडा सा भी रोता है !
जब वो स्कूल को निकलता है !
माँ के पल्लू से हरदम लिपटता है !
लगता है जेसे माँ से बिछड़ने का ........
हरदम उसे खोफ सा ही रहता है !
जब जवानी मै पांव वो रखता है !
यारों दोस्तों से जब वो मिलता है !
तब माँ के उस एहसास को...............
थोडा - थोडा सा अब वो खोने लगता है !
अब माँ का आशीर्वाद फिर वो पाता है !
घर मै प्यारी दुल्हन ले के आता है !
उसके साथ रंग - बिरंगे सपने देख कर
फिर वो एक नया संसार बसाता है !
bahut sundar sachitra kavita.kali ke phool banne ko bahut hi khoob soorati se varnan kiya hai aapne badhai....
ReplyDeleteयथार्थमय सुन्दर पोस्ट
ReplyDeleteकविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.
शालिनी जी व् संजय जी का बहुत - बहुत शुक्रिया !
ReplyDeleteलाजवाब पोस्ट, पढकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteधन्यवाद।
shukriya dost
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