लेखक , कवि व् साहित्यकार
तो पहले भी कई हुए !
अपने - अपने विचारों से
सबने पन्ने भी हैं भरे !
स्कूल , कालेजों मै ,
हमने भी उन्हें पढ़ा ,
पर क्या आज तक उनके
कहने पे कोई चला ?
हर किसी ने अपनी ही बात का
अनुसरण है किया !
क्युकी हर कोई अपनी
दिल कि कहानी लिखता है !
अपनी ही सोच को ...............
ख़ाली कर .............. आने वाली
सोच का स्वागत करता है !
ये उसकी एक छोटी सी..........
कोशिश ही तो होती है !
यु समझो अपने साथ बीते............
लम्हों कि बात होती है !
क्युकी ...... इन्सान के सोच का
तो कोई अंत नहीं !
अगर कोई लिखने लगे तो
दिनकर , प्रेमचंद जी से भी कोई कम नहीं !
हर किसी के पास...............
सोच का एक बड़ा खजाना है !
यु समझो सबने अपने विचारों से
इतिहास को रचते जाना है !
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.बधाई...
ReplyDeletebahut achchha likha hai .badhai
ReplyDeleteअपने विचारों से
ReplyDeleteइतिहास को रचते जाना है !
वाह जी वाऽऽह ! क्या निश्चय है ! बहुत ख़ूब !
~*~ हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार