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बडबोली सरकार ट्रेक से बेरंग लोटी

जी हाँ दोस्तों राजस्थान सरकार जो गुर्जर आरक्षण के मामले में ट्रेक पर जमे गुर्जर नेताओं को ललकार रहे थे के ट्रेक पर गुर्जर चाहे दते रहे सरकार ट्रेक पर नहीं जाएगी वार्ता ट्रेक पर नहीं टेबल पर होगी सरकार ने यह भी ललकार दी की नियुक्तिया किसी भी कीमत पर नहीं रुकेंगे सरकार की इस गीदड़ भभकी से गुर्जर डरे तो नहीं बलके एक जुट हो गये जब सरकार ने पासा पलटते देखा तो मुख्यमंत्री जी तो उद्घाटन भाषण में केकड़ी,भीलवाडा,जोधपुर,उदयपुर घूमते रहे लेकिन तीन मंत्रियों की एक कमेटी और फिर तीन अधिकारीयों की एक कमेटी बना दी नियुक्तियों के मामले में संशोधित बयान जारी किया खुद कोंग्रेस सरकार के मंत्री जितेन्द्र सिंह बसला को मनाने रेलवे ट्रेक पर जा बेठे तो जनाब सरकार ने जो कहा उससे अलग हठ कर खुद का थूका निगल लिया ,सरकार तो अपनी बात से बदल गयी लेकिन गुर्जर आज भी अपनी बात पर कायम हें के आरक्षण मामले में कोई ठोस वायदे के पहले ट्रेक से नहीं हटेंगे।
इधर सरकार हे के इस आन्दोलन का ठीकरा खुद की नाकामी को छुपा कर भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया और राष्ट्रिय भाजपा अध्यक्ष गडकरी पर मड रही हे रोज़ लगातार लगाये जा रहे घटिया आरोपों से तंग आकर आखिर आज खुद वसुंधरा ने गहलोत मख्यमन्त्री जी को उनकी ओकात याद दिलाते हुए कह ही डाला के मुख्यमंत्री जी दो साल से आपकी सरकार हे गुर्जरों के आरक्षण के मामले में आपने इसे प्रधानमन्त्री जी से मिलकर नवीं अनुसूची में क्यूँ नहीं डलवाया वसुंधरा ने खान के मुख्यमंत्री गहलोत जी अगर आपको दो सालों में प्रधानमन्त्री जी टाइम नहीं डर रहे हें तो क्रप्या कर हमें बताएं हम आपको प्रधानमन्त्री जी से मिलने का टाइम दिलवा देते हें बस अब गुर्जर मामले में समस्या समाधान से ज्यादा दोनों पार्टियों की राजनीती का डोर शुरू हो गया हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Comments

  1. आपकी रचना वाकई तारीफ के काबिल है .

    * किसी ने मुझसे पूछा क्या बढ़ते हुए भ्रस्टाचार पर नियंत्रण लाया जा सकता है ?

    हाँ ! क्यों नहीं !

    कोई भी आदमी भ्रस्टाचारी क्यों बनता है? पहले इसके कारण को जानना पड़ेगा.

    सुख वैभव की परम इच्छा ही आदमी को कपट भ्रस्टाचार की ओर ले जाने का कारण है.

    इसमें भी एक अच्छी बात है.

    अमुक व्यक्ति को सुख पाने की इच्छा है ?

    सुख पाने कि इच्छा करना गलत नहीं.

    पर गलत यहाँ हो रहा है कि सुख क्या है उसकी अनुभूति क्या है वास्तव में वो व्यक्ति जान नहीं पाया.

    सुख की वास्विक अनुभूति उसे करा देने से, उस व्यक्ति के जीवन में, उसी तरह परिवर्तन आ सकता है. जैसे अंगुलिमाल और बाल्मीकि के जीवन में आया था.

    आज भी ठाकुर जी के पास, ऐसे अनगिनत अंगुलीमॉल हैं, जिन्होंने अपने अपराधी जीवन को, उनके प्रेम और स्नेह भरी दृष्टी पाकर, न केवल अच्छा बनाया, बल्कि वे आज अनेकोनेक व्यक्तियों के मंगल के लिए चल पा रहे हैं.

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--- संजय सेन सागर

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