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मजदुर



बड़े बड़े महलों मै लोगो का बसेरा है !
                  गरीब की मेहनत ने इसे  पिरोया है !
एक २ ईंट की कीमत  खून पसीना है ! 
                ये गरीब तो हर हाल मै  एक नगीना है !
उसकी मेहनत को हर कोई न जाना है !
              उसका  तो आज यहाँ कल कही और ठिकाना है !
पापी पेट है कुच्छ न कुच्छ तो कमाना  है !
                हर इंसा को एक झत दे के निकल जाना  है !
अपनी तमनाओ को दफ़न ही तो ये करते  हैं ! 
                   फिर भी हर हाल मै मुस्कुराते रहते हैं !   
काश हम कुच्छ पल को इनको खुश कर पाते !
                 इनकी मेहनत मै तो जेसे चार चाँद लग जाते !
ये तो बस पल  भर की ही तो ख़ुशी चाहते हैं !
                   और सारी जिंदगी की हमे ख़ुशी दे जाते हैं ! 

Comments

  1. हाँ, जिन्दगी एक इन्तिहाँ ही तो है, जिसको पास और फेल होने के चक्कर में इंसान पिसता रहता है. एक इन्तिहाँ पास कर लिया तो दूसरा सामने खुद बा खुद आ जाता है. आख़िर कहाँ तक इन इन्तिहानों से गुजार कर जियें हम. लेकिन ये इंसान की नियति है और इसको देना ही होगा.

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  2. उसकी मेहनत को हर कोई न जाना है !
    उसका तो आज यहाँ कल कही और ठिकाना है !
    पापी पेट है कुच्छ न कुच्छ तो कमाना है !
    हर इंसा को एक झत दे के निकल जाना है !


    bohot bohot khubsurati ke saath... kaafi sanjidagi ke saath piroya hai aapney...

    ReplyDelete
  3. आदरणीय minakshi pant जी
    नमस्कार !

    कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई

    ReplyDelete
  4. मै आप सबका तहेदिल से शुक्रिया करती हु !

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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