बड़े बड़े महलों मै लोगो का बसेरा है !
गरीब की मेहनत ने इसे पिरोया है !
एक २ ईंट की कीमत खून पसीना है !
ये गरीब तो हर हाल मै एक नगीना है !
उसकी मेहनत को हर कोई न जाना है !
उसका तो आज यहाँ कल कही और ठिकाना है !
पापी पेट है कुच्छ न कुच्छ तो कमाना है !
हर इंसा को एक झत दे के निकल जाना है !
अपनी तमनाओ को दफ़न ही तो ये करते हैं !
फिर भी हर हाल मै मुस्कुराते रहते हैं !
फिर भी हर हाल मै मुस्कुराते रहते हैं !
काश हम कुच्छ पल को इनको खुश कर पाते !
इनकी मेहनत मै तो जेसे चार चाँद लग जाते !
ये तो बस पल भर की ही तो ख़ुशी चाहते हैं !
और सारी जिंदगी की हमे ख़ुशी दे जाते हैं !
इनकी मेहनत मै तो जेसे चार चाँद लग जाते !
ये तो बस पल भर की ही तो ख़ुशी चाहते हैं !
और सारी जिंदगी की हमे ख़ुशी दे जाते हैं !
हाँ, जिन्दगी एक इन्तिहाँ ही तो है, जिसको पास और फेल होने के चक्कर में इंसान पिसता रहता है. एक इन्तिहाँ पास कर लिया तो दूसरा सामने खुद बा खुद आ जाता है. आख़िर कहाँ तक इन इन्तिहानों से गुजार कर जियें हम. लेकिन ये इंसान की नियति है और इसको देना ही होगा.
ReplyDeleteउसकी मेहनत को हर कोई न जाना है !
ReplyDeleteउसका तो आज यहाँ कल कही और ठिकाना है !
पापी पेट है कुच्छ न कुच्छ तो कमाना है !
हर इंसा को एक झत दे के निकल जाना है !
bohot bohot khubsurati ke saath... kaafi sanjidagi ke saath piroya hai aapney...
आदरणीय minakshi pant जी
ReplyDeleteनमस्कार !
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
मै आप सबका तहेदिल से शुक्रिया करती हु !
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