ये मेरे मालिक तेरा हमपे ये करम हो गया !
तुने अपनी जगह माँ का जो हमको साथ दिया !
तू भी जनता था की अकेले तो हम न रह पाएँगे
इसलिए चुपके से माँ बनके हाथ हमारा थाम लिया !
जिंदगी के हर पल में उसने हमारा साथ दिया !
इसलिए जब दर्द उठा तो माँ का ही जुबाँ ने नाम लिया !
माँ ने तेरा ये काम बहुत खूबसूरती से कर दिया !
तेरी ही तरह हम सबको अपना गुलाम कर दिया !
दोनों के एहसानों को तो अलग ना हम कर पाएंगे !
इसलिए उससे लिपट कर तेरे और करीब हम आ जायेंगे !
maa par likhi huyi har ek rachna behtareen hi hoti hai...
ReplyDeletebahut hi sundar....
मेरे ब्लॉग पर इस बार धर्मवीर भारती की एक रचना...
जरूर आएँ.....