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माँ

                                           

ये मेरे मालिक तेरा हमपे ये करम हो गया !
तुने अपनी जगह माँ का जो हमको साथ दिया !
 तू भी जनता था की अकेले तो हम न रह पाएँगे 
इसलिए चुपके से माँ बनके हाथ हमारा  थाम लिया !
जिंदगी के हर पल में उसने हमारा साथ दिया !
इसलिए जब दर्द  उठा तो माँ का ही जुबाँ ने नाम लिया !
माँ ने तेरा ये  काम बहुत खूबसूरती से कर  दिया !
तेरी ही तरह हम सबको अपना गुलाम कर दिया !
दोनों के एहसानों को तो अलग ना हम कर पाएंगे !
इसलिए उससे लिपट कर तेरे और करीब हम आ जायेंगे !

Comments

  1. maa par likhi huyi har ek rachna behtareen hi hoti hai...
    bahut hi sundar....
    मेरे ब्लॉग पर इस बार धर्मवीर भारती की एक रचना...
    जरूर आएँ.....

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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