कितनी सुन्दर लगती हो॥
रूप बड़ा मस्ताना है॥
कितने भवरे मंडराते है॥
कितनो का दिल दीवाना है...
मानो मणियो संग मोती गिरते॥
रह रह के जब हंसती हो॥
मन दरिया बन जाता है॥
आँखे आश लगाती है॥
होठ ज़रा मुस्काने दो॥
अपनी बात बताती है,,,
झुक जाती है लता सखाये॥
रुक रुक के जब चलती हो॥
कान आनंदित हो जाते है॥
जब मधुर स्वरों में गाती हो॥
बादल भी हंसने लगते है॥
जब मुझसे प्रीति लगाती हो॥
तब हवा मगन हो मंगल गाती॥
अंकुर पर ओश जब गिरती है॥
सुख संपत्ति सब हंसने लगते॥
जब हमसे नैन मिलाती हो॥
मन की बात बताने में॥
कभी कभी सकुचाती हो...
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर