बीत गय जवानी अब आयी बूढाई हो॥
कुवारा लागल मरबय॥कुवारा लागल मरबय॥
जिया उबियाय हो॥ कुवारा लागल मरबय॥
सोलह की उमरिया मा खेले गुल्ली डंडा॥
अखिया गवाय के होय गये अंधा॥
अतिया मा निंदिया करय उपहास हो॥
कुवारा लागल मरबय॥
घर कय गरीब रहिय्ले भइल न eइलाज॥
देशी दवाई कय कीन्हा उपचार॥
दाहिनी आँख आंधर भैले नइखे देखायहो॥
कुवारा लागल मरबय॥
चश्मा पहिन जब चलली सड़किया॥
पीछे से सीटी बजावै लड़किया॥
असली रूप देख के लगे उकिलाय हो॥
कुवारा लागल मरबय॥
मन टूट गइला मनवा अधीर भा ॥
माया मोह छुटट नाही जायी कहा॥
दिन मा दिनौधि होय केहका बतायी हो॥
कुवारा लागल मरबय॥
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--- संजय सेन सागर