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प्रस्‍तुतोमि तद्दृष्‍यं यद्दृष्‍ट्वा सर्वेभारतीया: प्रसन्‍तामनुभवेयु: ।।



हिन्‍दी भाषायां पठितुम् अत्र बलाघात: करणीय:
                  प्रस्‍तुतोमि तत् दृष्‍यं यद्दृष्‍ट्वा सर्वे भारतीया: प्रसन्‍नतामनुभविष्‍यन्ति । भवन्‍त: चिन्‍तयन् सन्ति यत् तावत अहं किं दर्शयितुम् इच्‍छामि ।  स्‍वयमेव पश्‍यन्‍तु ।



अस्ति एतत् दृष्‍यं लखनउनगरस्‍य, निरालानगरक्षेत्रस्‍य शिशुमन्दिरे आयोजितस्‍य 10 दिवसीयसंस्‍कृतआवासीयप्रशिक्षणशिविररस्‍य , यत्र सम्‍भवत: 250 प्रशिक्षार्थय: 10 दिवसपर्यन्‍तं  संस्‍कृतसम्‍भाषणस्‍य शिक्षां गृहीतवन्‍त:।  

 शिविरआयोजनस्‍य नवमे दिने नगरभ्रमणम् आयोजितम् , सरस्‍वतीशिशुमन्दिरत: श्रीरामकृष्‍णमठम् । वदतु संस्‍कृतम्, जयतु भारतम् । जयतु जयतु संस्कृत भाषा, वदतु वदतु संस्‍कृतभाषा । ग्रामे ग्रामे नगरे नगरे संस्कृत भाषा इति उद्घोषात् सम्‍पूर्ण विश्‍व जनु गुंजायमान: आसीत् ।

 शिविरायोजनस्‍य दशमे दिने प्रात: 3वादने भारतमातु:  मानचित्रे सर्वे छात्रा: शिक्षका: च पुष्‍पार्पणं कृतवन्‍त: । भारतमातु: मानचित्रं  दीपै: सज्जितं कृतम् ।  भवन्‍त: अस्मिन्  चित्रे भारतमातु: पवित्रविग्रह: द्रष्‍टुं शक्‍नुवन्ति ।



सार्धं भोजनं कुर्वन्‍त: छात्रा:।


अनेन प्रकारेण एतत् 10 दिवसस्‍य संस्‍कृतप्रशिक्षणशिविरं सुन्‍दरतया सफलतया च समाप्‍तम् अभवत् । अस्‍य शिविरस्‍य प्रथमे दिवसे यत्र कस्‍यचित् अपि मुखात् सम्‍यकतया संस्‍कृतस्‍य एक: शब्‍द: अपि न आगच्‍छत् आसीत तत्रैव समापनकार्यक्रमे प्राय: सर्वे प्रशिक्षार्थिन: संस्‍कृते एव स्‍वविचारान् प्रकटितवन्‍त: । अनेन प्रकारेण शिविरायोजनं सर्वथा सफलं आसीत् , अस्‍य प्रमाणस्‍वरूपं ते प्रशिक्षार्थिन: सन्ति ये अत्र प्राँगणे विभिन्‍नप्रकारेण सोत्‍साहं संस्‍कृताभ्‍यास कुर्वन्‍त: सन्ति । 

अत्र केचन जालपुटसंकेतान् दीयते यत्र  बलाघातं कृत्‍वा भवन्‍त: तानि चलचित्राणि  द्रष्‍टुं शक्‍नुवन्ति येषु संस्‍कृताभ्‍यासे रता: सन्ति प्रशिक्षार्थिन:। 

।। अभ्‍यासं कुर्वन्‍त: प्रशिक्षार्थिन: ।।

।। उच्‍चै: स्‍वरै: संस्‍कृतयात्रायां उद्घोषं कुर्वन्‍त: विद्यार्थिन: ।।

।। कार्यक्रमस्‍य समापनं भारतमातु: चरणयो: पुष्‍पार्चनं च ।।


भवतां विचाराणां स्‍वागतमस्ति अत्र, मम उत्‍साहवर्धनाय ।।


http://sanskrit-jeevan.blogspot.com/

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