Skip to main content

लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,


आज दिनांक 12.05.2010 को परिकल्पना ब्लोगोत्सव-२०१० के अंतर्गत तेरहवें दिन प्रकाशित पोस्ट का लिंक-

.........इमरोज़ का अर्थ जो हो , पर मेरी दृष्टि में इसका अर्थ है 'प्यार' : रश्मि प्रभा

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_11.html

अंग्रेजी की तरह हिंदी ब्लोगिंग को भी अपनी पकड़ मजबूत बनानी होगी : अमरजीत कौर http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.html

लोग आरती उतारते हैं मैंने इक नज़्म उतारी है :अनिल 'मासूम

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_7002.html

पारुल पुखराज की तीन नज्में

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_308.html

'भगवान् ने एक इमरोज़ बनाकर सांचा ही तोड़ दिया : सरस्वती प्रसाद http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.html

शिखा वार्ष्णेय का संस्मरण : वेनिस की एक शाम

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_6286.html


काश एक इमरोज मेरी भी ज़िन्दगी में होता......रानी मिश्रा

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_5159.html

विनय प्रजापति 'नज़र' की नज्में

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_5220.html

इमरोज़ - मोहब्बत जहाँ मोहब्बत वहाँ खुदा : प्रिया चित्रांशी

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_9004.html

डा. श्याम गुप्त के गीत : प्रीति का एक दीपक जलाओ....

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3513.html

ऐसा एहसास ऐसी तपिश हर रोज हमारे घर आए :नवीन कुमार

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_2271.html

निर्मला कपिला की कहानी :बेटियों की माँ

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/03/blog-post_30.html

इमरोज़ ...प्यार का स्तम्भ ...मुहब्बत का मसीहा : वाणी शर्मा

http://www.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_4304.html




ललित शर्मा की पेंटिंग गैलरी

http://utsav.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_3233.html

हमें गर्व है हिंदी के इस प्रहरी पर

http://shabd.parikalpnaa.com/2010/05/blog-post_12.html


utsav.parikalpnaa.com

अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
loksangharsha.blogspot.com

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा