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लो क सं घ र्ष !: ब्लॉग उत्सव 2010

सम्मानीय चिट्ठाकार बन्धुओं,

सादर प्रणाम,



श्री अशोक चक्रधर का व्यंग्य:कटाई छंटाई बुरशाई कुतराई की चतुराई http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_17.html



अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य: जब चूहे बोलेंगे खूब राज खोलेंगे http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_5781.html


गिरीश पंकज के व्यंग्य:हम तो मूरख जनम के http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_9722.html


श्री समीर लाल जी बता रहे हैं "उड़न तश्तरी" की लोकप्रियता का राज........ http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_4903.html


पहाड़ों की रानी के संग चंद लम्हें : रंजना भाटिया http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_3800.html


मीनाक्षी अरोड़ा का आलेख : आँखों को बेनूर कर रहा पानी http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_2597.html


बच्चों का कोना में आज जाकिर अली रजनीश की कविता http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_796.html


सुनिए रश्मि प्रभा जी की रचनाएँ उनकी आवाज़ में http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_7219.html


सुनिए अदा जी की आवाज़ में उनकी कविता :पुरुषोत्तम http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_5220.html


उत्सव गीत : संजीव 'सलिल' http://utsav.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_4968.html


हमें गर्व है हिंदी के इस प्रहरी पर http://shabd.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_17.html


ब्लोगोत्सव-२०१०: आज के कार्यक्रम का समापन http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_17.html


ब्लोगोत्सव-२०१० : आईये अब रस परिवर्तन किया जाए(6) http://www.parikalpnaa.com/2010/04/6.html


ब्लोगोत्सव-२०१०: हमारे सामाजिक सरोकार और बच्चों का कोना (5) http://www.parikalpnaa.com/2010/04/5.html


ब्लोगोत्सव-२०१० : उमस भरे माहौल से निकलकर आइए चलते हैं पहाड़ों की तरफ(4) http://www.parikalpnaa.com/2010/04/4.html


ब्लोगोत्सव-२०१०: जानिये उड़न तश्तरी के पोपुलर होने का राज (3) http://www.parikalpnaa.com/2010/04/3.html


ब्लोगोत्सव-२०१० दूसरा दिन मध्यांतर के बाद (2) http://www.parikalpnaa.com/2010/04/2_16.html


ब्लोगोत्सव-२०१० यानी सामूहिक सद्भाव का सार्वजनिक प्रदर्शन http://www.parikalpnaa.com/2010/04/blog-post_16.html



utsav.parikalpnaa.com
अंतरजाल पर परिकल्पना के श्री रविन्द्र प्रभात द्वारा आयोजित ब्लॉग उत्सव 2010 लिंक आप लोगों की सेवा में प्रेषित हैं।

-सुमन
loksangharsha.blogspot.com




















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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...