गम का गागर लिए॥
आंसुओ से भरा॥
नाथ तुम ही बताओ॥
कहा जाए हम ॥
मुर्खता है हमारी॥
किया हमसे छल॥
पल पल आंसू ही पीते॥
क्या मर जाए हम॥
भूल मुझसे हुयी॥
गम को झेला भी मै॥
कुरता इतनी करनी ॥
नहीं चाहिए॥
क्या तपोवन में जाके॥
जल जाए हम॥
क्यों विधाता बने हो॥
क्षीर सागर में जा॥
अपनी भक्ति पे एतवार॥
हमको भी है॥
क्या जहर खा के॥
जीवन को छोड़ जाए हम॥
आंसुओ से भरा॥
नाथ तुम ही बताओ॥
कहा जाए हम ॥
मुर्खता है हमारी॥
किया हमसे छल॥
पल पल आंसू ही पीते॥
क्या मर जाए हम॥
भूल मुझसे हुयी॥
गम को झेला भी मै॥
कुरता इतनी करनी ॥
नहीं चाहिए॥
क्या तपोवन में जाके॥
जल जाए हम॥
क्यों विधाता बने हो॥
क्षीर सागर में जा॥
अपनी भक्ति पे एतवार॥
हमको भी है॥
क्या जहर खा के॥
जीवन को छोड़ जाए हम॥
Comments
Post a Comment
आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर