''हिन्दुस्तान का दर्द''के समस्त लेखकों एवं पाठकों को रंगों का यह रंगीला त्यौहार ''होली''मुबारक हो...
आइये होली के इस ख़ास दिन से हम सब प्रण करें प्रकृति को बचाने,एक हरा भरा भारत बसाने की!
सूखी होली मनाएं,केमिकल युक्त रंगों का उपयोग न करें.साथ ही साथ दूसरों के लिए दुआ करें जो इन रंगों का अहसास नहीं कर पाते..
''हिन्दुस्तान का दर्द'' आप सभी के उज्जवल भविष्य एवं प्रगतिशील वर्तमान की कामना करता है,आप सभी से आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है की ''हिन्दुस्तान का दर्द'' के साथ अपना है असीम प्यार बनायें रखेंगे...
संजय सेन सागर
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संजय जी आपको भी होली कि बधाई
ReplyDeleteरविन्द्र रवि जी बहुत अच्छा लग रहा है आपकी बधाई पाकर
ReplyDeleteअनुकरणीय विचारों के लिए साधुवाद.
ReplyDelete- विजय तिवारी किसलय
यहाँ के सभी मेम्बेर्स को होली की बहुत बहुत शुभ कामनाये
ReplyDeleteaap ko bhi holi mubara
ReplyDeleteबहुत अच्छा । बहुत सुंदर प्रयास है। जारी रखिये ।
ReplyDeleteहिंदी को आप जैसे ब्लागरों की ही जरूरत है ।
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श्री संजय सेन सागर जी!
ReplyDeleteरंगोत्सव आपको और आपके परिवार को हर्ष और उल्लास से परिपूर्ण करे। -डॉ० डंडा लखनवी
नेचर का देखो फैशन शो
-डॉ० डंडा लखनवी
क्या फागुन की फगुनाई है।
हर तरफ प्रकृति बौराई है।।
संपूर्ण में सृष्टि मादकता -
हो रही फिरी सप्लाई है।।1
धरती पर नूतन वर्दी है।
ख़ामोश हो गई सर्दी है।।
भौरों की देखो खाट खाड़ी-
कलियों में गुण्डागर्दी है।।2
एनीमल करते ताक -झाक।
चल रहा वनों में कैटवाक।।
नेचर का देखो फैशन शो-
माडलिंग कर रहे हैं पिकाक।।3
मनहूसी मटियामेट लगे।
खच्चर भी अपटूडेट लगे।।
फागुन में काला कौआ भी-
सीनियर एडवोकेट लगे।।4
इस जेन्टिलमेन से आप मिलो।
एक ही टाँग पर जाता सो ।।
पहने रहता है धवल कोट-
ये बगुला या सी0एम0ओ0।।5
इस ऋतु में नित चैराहों पर।
पैंनाता सीघों को आकर।।
उसको मत कहिए साँड आप-
फागुन में वही पुलिस अफसर।।6
गालों में भरे गिलौरे हैं।
पड़ते इन पर ‘लव’ दौरे हैं।।
देखो तो इनका उभय रूप-
छिन में कवि, छिन में भौंरे हैं।।7
जय हो कविता कालिंदी की।
जय रंग-रंगीली बिंदी की।।
मेकॅप में वाह तितलियाँ भी-
लगतीं कवयित्री हिंदी की।8
वो साड़ी में थी हरी - हरी।
रसभरी रसों से भरी- भरी।।
नैनों से डाका डाल गई-
बंदूक दग गई धरी - धरी।।9
ये मौसम की अंगड़ाई है।
मक्खी तक बटरफलाई है ।।
धोषणा कर रहे गधे भी सुनो-
इंसान हमारा भाई है।।10
सचलभाष-0936069753