Skip to main content

कलमाड़ी जी यह तो कर्मों की सजा हे

मनमोहन सिंह प्रधानमत्री जी के बुरे वक्त के साथी राव मंत्रिमंडल में मनमोहन जी के रक्षक रहे सुरेश कलमाड़ी जी को कुछ नहीं होने पर भी प्रधानमन्त्री जी ने बहुत कुछ बनाया और कोमनवेल्थ गेम के लियें कलमाड़ी जी को माई बाप बना दिया , कलमाड़ी जी ने देश की जनता को महामूर्ख समझा और २००० की कुर्सिया ८ हजार में खरीदीं लाखों के काम करोड़ों में कराए किसी ने रोकना चाह तो सोनिया जी और मनमोहन इस के निकटतम होने के कारण उस पर भन्नाए नतीजा बात मिडिया तक पहुंची फिर बात उठी तो भाजपा तक पहुंची और भ्रस्ताचार की कहानी बाहर से आये मेहमानों और खिलाडियों की ज़ुबानी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गयी जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के भ्रस्ताचार के बखान होने लगे तो बस भारत को शर्म आई और फिर जाँच शुरू हुई कोम्न्वेल्थ भ्रस्ताचार की ।
ताज्जुब यह हे के इस जाँच की शुरुआत के बाद भाजपा किसी ना किसी तरह से कलमाड़ी को प्रोटेक्ट करती रही और इधर इस जाँच की कछुवा चाल के चलते कोंग्रेस में ही महासंग्राम हो गया कोंग्रेस के कलमाड़ी और दिली की मुख्यमंत्री शिला दीक्षित में भ्रस्ताचार के मामले को लेकर खुल कर तू तडाक हुई मामला मिडिया तक पहुंचा मिडिया पर ब्लेकमेलिंग के आरोप लगे फिर मामला शांत हो गया लेकिन कोंग्रेस के अधिवेशन के बाद अचानक सुरेश कलमाड़ी जी जो कभी प्रधानमन्त्री जी के खासमखास हुआ करते थे उनके घर और ठिकानों पर ओपचारिकता करने सी बी आई जा पहुंची सी बी आई ने जो ओपचारिकता की उसमें कलमाड़ी जी गिरफ्तार तो नहीं हुए लेकिन कलमाड़ी जी की हवनिकल गयी और वोह चिल्लाने लगे मय्या मोरी मो नहीं माखन खायो , मिडिया को मोका मिला और बस कलमाड़ी जी निशाने पर आगये उन्होंने अब तक पद नहीं छोड़ा हे और वोह पद पर काबिज़ हे फिर भी जाँच हो रही हे अजीब जाँच हे एक आदमी जो पद पर रहकर किसी भी जांच को प्रभावित कर सकता हे उसे हटाया नहीं गया हे कलमाड़ी जी तरकीब से भाजपा सरकार में पावर में रहने के लियें महत्वपूर्ण पदों पर रहे उन्हें भाजपा ने हटाया नहीं बल्कि उनसे सम्बन्ध स्थापित किये और आज जब कलमाड़ी जी पर छपे पड़े तो कोंग्रेस के दोस्तों से ज्यादा भाजपा को इसका दर्द हे और भाजपा के अध्यक्ष जी गडकरी ने तरकीब से बयान का राजनीति करण कर कलमाड़ी जी का बचाव करने का प्रयास किया हे इसे कहते हें चोर चोर मोसेरे भाई । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा