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लीगल प्रेक्टिशनर बिल सरकार की जालसाजी

देश के वकीलों के साथ सरकार ने धोखे से लीगल प्रेक्टिशनर बिल पारित करवा कर धोखा किया हे देश के साथ की गयी इस जालसाजी को देश भर के वकील मानने को तय्यार नहीं हे इस बिल को तय्यार करने ,कानून बनाने में सरकार के करोड़ों रूपये खर्च हुए हें लेकिन देश की विद्म्म्बना हे के इस गेर जरूरी बिल को सरकार ने अहमियत दी हे ।
वकील खुद स्वतंत्र अस्त्तिव रखते हें लेकिन उनको अनुशासित करने के लियें सरकार ने संसद में एडवोकेट एक्ट का कानून पारित किया हे फिर इस कानून की पालना और वकीलों को नियंत्रित रखें के लियें एक स्वतंत्र संस्था बार कोंसिल ऑफ़ इण्डिया का गठन किया गया हे और इस संस्था का विकेंद्रिकर्ण कर राज्य स्तर पर इस व्यवस्था को लागु किया गया हे जहां एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया लागू हे देश भर के वकील चुनाव के माध्यम से अध्यक्ष और दुसरे सदस्यों को चुनते हें जो एक निर्धारित कानून और नियमों के तहत वकीलों की नीतिया और नियम निर्धारित करते हें चिकित्सकों की भी ऐसी ही स्वतंत्र मेडिकल कोंसिल संस्था हे हाल ही में मेडिकल कोंसिल के अध्यक्ष को करोड़ों रूपये के साथ सी बी आई ने गिरफ्तार किया था लेकिन इस संस्था पर अंकुश लगाने के स्थान पर सरकार वकीलों की संस्था पर कब्जा करना चाहती हे इस दुष्कर्म के चलते सरकार ने लीगल प्रेक्टिशनर बिल तय्यार किया हे जिसमे सरकार अलोकतांत्रिक तरीके से अपनी मर्जी का एक अध्यक्ष और एक सचिव नियुक्त करेगा जो वकीलों के कानून और बार कोंसिल के होते हुए तानाशाही प्रक्रिया से वकीलों को डरा धमका कर कब्जे में करने का प्रयास करेंगे , वकीलों के मामले में इस गेर कानूनी बिल को संसद में सरकार ने रखा लेकिन इस पर बहस करवाकर इसे सरकार पारित नहीं करवाना चाहती थी इसलियें सरकार ने संचार घोटाले के हंगामे के चलते विपक्ष के विरोध के बाद बिना किसी बहस के इस कानून को चोर दरवाज़े से पारित करवा लिया जो देश के वकील और जनता के साथ धोखा हे , सरकार जब कानून के जानकारों के खिलाफ इस तरह का षड्यंत्र रचती हे तो फिर यह सरकार आम गरीबों के लियें तो क्या कर रही होगी अंदाजा लगाया जा सकता हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...