Skip to main content

भ्रस्टाचार पर बहस का मजाक ?

भ्रस्टाचार का नाम आते ही अब जेहन में तूफान नही मचता क्यूँ ? क्यूंकि हम उसे जेहनी तौर पर स्वविकार चुके है दरअसल हर उस मुद्दे को भोथरा बना धार बिहीन करने की साजिश लम्बे समय से चल रही है वरन यह कहा जाये की साजिश के बीज बोये गये जो अब भ्रस्टाचार की लहलाहती फसल में बदल गये है इसी साजिश की दूसरी शक्ल है किसी भी मुद्दे का खाशियत का क़त्ल कर देना ताकि जब भी भ्रस्टाचार जैसा शब्द कान में पड़े तो सामने वाला तत्काल बोल पड़े की "अरे यह सब तो चलता ही रहता है" हल ही में फिर से देश परदेश में भ्रस्टाचार के कुछ नये पुराने मामलो पर बहस जारी है !
हाल ही में पूर्ब मुख्य सचिव नीरा यादव के जेल जाने और अनाज घोटाले पर अदालत की फटकार के बाद इस मुद्दे ने आम आदमी के दिलो दिमाग को एक बार फिर झकझोरदिया है !पर क्या नीरा से बाकि अफसर कुछ सीख लेंगे !क्या अनाज घोटाले में कोई जेल जायेगा !या ये सब टीबी और अखबारों की सुर्खिया बनकर ही रह जायेंगे !द्स्ताबेजो की माने तो अनाज घोटाला देश का सबसे बड़ा घोटाला बन गया है जो की लगभग ३५००० करोड़ का है !यह २००५ -२००४ में मुलायम सरकार में हुए थे जिसमे ८ सीडियो,सहित १७५ पर मुकदमा दर्ज़ है !इसी प्रकार मायावती के कार्यकाल में ताज कारीडोर मामला भी लगभग १७५ करोड़ का हुआ ,हालत ये हो गये की इसमें मायावती का नाम आने पर उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए २५ अगस्त २००३ को इस्तीफा तक दे दिया था !मुलायम सिंह के जमाने में हुआ पुलिसभर्ती घोटाला भी खूब चर्चा में रहा इसमें भी २५ आई पी एस ,११० पी पी एस ,शामिल बताये गये हालाकि बाद में हाई कोर्ट ने ३५००० पुलिस वालो को बहाल कर दिया था !
भ्रस्टाचार के इस मुद्दे पर पूर्ब पुलिस महा निदेशक एस एन शुक्ल का साफ कहना है की -जिस अफसर के मन में जरा भी निष्ठां हो उसे अपना काम बिना किसी दबाब के करना चाहिए ,इसमें कोई नुकसान नही होता पर गलत करने पर कभी न कभी तो जबाब देना ही पड़ता है ,हालत अखंड और नीरा जैसे भी हो सकते है !हवा कह रही है है की आने वाले समय में खासकर न्याय पालिका भ्रस्ताचारियो को बख्सने वाली नही है ,इसी पद से अवकाश ले चुके श्री राम अरुण का भी कुछ ऐसा ही कहना है की -गलत ढंग से पैसा कमाने और नेतावो के इशारे पर कंही भी मुहर लगाने वाले अफसरों को समझना होगा की उनका हाल भी इन्ही दोनों जैसा हो सकता है ,मेरा विचार है की अगर कुछ अफसर भी कमर कस लें तो भ्रस्टाचार को ख़त्म किया जा सकता है ,नेता कितने अफसरों को झुका लेंगे ,आई पी एस ,आई ऐ एस का ओ कर भी क्या सकते है बीएस नुकसान इतना होगा की मलाईदार पोस्ट नही मिलेगी पर फायदा बहुत होगा !
कुंवर समीर शाही

Comments

  1. जी हाँ,भ्रष्टाचार अपने देश में चरम पर है.मुश्किल ये है की आप शिकायत किससे करेंगे क्योंकि जिससे शिकायत करेंगे वो भी भ्रष्ट है. पूरा ढांचा चरमरा गया है.मेरा एक दोहा है:-
    बढ़ता जाता अनवरत,दहशत का माहौल.
    लोकतंत्र बीमार है , भ्रष्टाचार सुडौल .

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा