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भारत में परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता

फ़्रांस की अरेवा कंपनी द्वारा महाराष्ट्र के जैतपुर में १६५० मेगावाट की दो नाभिकीय रिएक्टर स्थापित किया जायेगा .यह एक अच्छी खबर है .पर्यावरण मंत्रालय ने भी कुछ शर्तों के साथ इसकी स्थापना की इज़ाज़त दे दिया है .भारत को इस वक्त उर्जा की बहुत जरुरत है ,पेट्रोलियम के भण्डार यहाँ पर बहुत ही सीमित है तथा यह अपनी आवश्यकता का ७५ प्रतिशत से अधिक पेट्रोलियम आयात करता है .साथ ही कोयला के भण्डार भी सीमित ही है जो आगे आने वाले ४० -५० वर्षों में समाप्त हो जायेंगे .इस प्रकार भारत के पास बहुत सीमित   विकल्प है जिसमे परमाणु ऊर्जा भी एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में स्थापित हो सकता है .परमाणु ऊर्जा को स्वेत इंधन कहा जाता है क्योंकि इससे पर्यावरण को नुक्सान नहीं होता है .भारत के पास पनबिजली ,सौर्य उर्जा ,पवन उर्जा का भी विकल्प है और भारत सरकार के अंग उसके विकास के लिए काम भी कर रहे है .दिक्कत की बात यह है की ये सभी स्रोत मिलकर भी ऊर्जा संकट को दूर नहीं कर सकते और इनके विकास की गति भी धीमी है .कोयले के प्रयोग से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी होता है जिससे ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या सामने आ रही है .परमाणु ऊर्जा के उपयोग से इसका समाधान हो सकता है .इससे कोयले और पेट्रोलियम पर हमारी निर्भरता भी कम होगी और विदेशी मुद्रा की बचत भी हो सकेगी .
परमाणु ऊर्जा की सबसे बड़ी समस्या इसकी सुरक्षा को लेकर है .परमाणु दुर्घटना होने पर लाखो लोगो की जाने जा सकती है और साथ ही साथ रेडिओ एक्टिव किरणों के वायुमंडल में विखरने के कारण भावी पीढी  को भी इसका दंश भुगतना पड़ेगा  .दुर्घटना के बाद मुआवजा राशि कितनी होगी,इसको लेकर भी विवाद बना हुआ है .अभी हाल ही में भारतीय संसद द्वारा परमाणु दुर्धटना मुआवजा आपूर्ति विधेयक पारित किया  गया है .इन सभी समस्याओं का समाधान खोज कर परमाणु ऊर्जा को एक वेहतर विकल्प के रूप में तैयार किया जा सकता है .इसी सन्दर्भ में फ़्रांस के साथ हुआ परमाणु समझौता काफी महत्वपूर्ण है ,इससे निश्चित रूप से भारत में ऊर्जा संकट के समाधान में कुछ मदद मिलेगी .भारत में अभी परमाणु ऊर्जा का कुल उत्पादन ४७२० मेगावाट है ..इसे द्रुत गति से बढाने की आवश्यकता है .

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