Skip to main content

प्यारी सी कली जब फूल बन खिली




एक प्यारा सा सन्देश बेटियों के नाम .............

तुम तो इस बगिया की 
              प्यारी सी वो कलियाँ हो 
माँ - बाबा के प्यार से 
             अब फूल  बन खिली हो 
जिन्दगी की दोड़ मै 
            खुद को कम न समझना 
तुम पर ही टिकी होगी नीव 
           पर उसे विरासत न समझना 
किसी के अत्याचार को  तुम 
                 हरगिज कभी  न सहना
पर किसी को प्यार देने से भी 
               पीछे कभी  तुम ना हटना 
 बच्चों  को प्यार देना 
               अच्छे संस्कार देना 
कोई तुम्हें दुत्कारे तो 
              उसका भी जवाब देना 
सबका ख्याल रखना 
                बेचारगी  मै न जीना 
स्त्री की हिम्मत को समझना 
                 उसको बनाये रखना 
जिंदगी तो रोज़ एक सवाल है 
                  तो   जवाब देते रहना
फिर अपने इस संसार को तुम 
                    येसे खुशहाल रखना  
दोनों घरों की इज़त को तुम ..............
                     बरकरार रखना
अपनी प्यारी सी बगिया को तुम 
                  हर दम आबाद रखना  
सबकी दुआए लेना 
             सबको दुआए देना 
तुमसे ही है  ये दुनिया 
            हर दम ख्याल रखना ?

Comments

  1. बहुत ही प्यारी सीख देती अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  2. हमे आपका इंतजार रहता है दोस्त शुक्रिया !

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्छी सीख दे रहीं हैं बेटियों को. बेटियाँ अगर हमारे घर का फूल हैं तो दूसरे घर के गुलदस्ते में सज कर महकना भी है . जिससे बगिया और माली दोनों को ही गर्व का मौका मिले हमारे संस्कारों कामान रख कर नारी के दायित्वों को पूर्ण आत्मसम्मान और गर्व के साथ पूर्ण किया है.

    ReplyDelete
  4. धन्यवाद दोस्त !

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा