मोहाली. नाम राकेश कुमार और उम्र मात्र 19 साल, हाथ में हुनर ऐसा कि देखना वाला अचंभित रह जाए। बारीक और मोटे चावलों पर लिखने में माहिर राकेश कुमार गांव दांदुमाजरा, फतेहगढ़ साहिब के रहने वाले हैं।
चावल के दानों पर ही कलाकारी क्यों? जवाब मिला मैं साधारण से किसान परिवार से हूं। धान बोने के लिए खेतों में जाता था तो ख्याल आया कि क्यांे न चावलों पर ही कुछ किया जाए। चावल के दाने पर सबसे पहले अपना नाम लिखा। फिर दोस्तों के नाम लिखे। चावल के दानों पर वह गुरबाणी से मूलमंत्र और राष्ट्रगान भी लिख चुके हैं।
इंटर तक पढ़े राकेश चाहते थे कि आगे पढ़ाई जारी रहे, लेकिन घर के हालात ने ऐसा नहीं करने दिया। परिवार को सहारा देने के लिए कंपाउंडर का काम करने लगे। राकेश ने बताया कि काम के दौरान जब भी समय मिलता तो नीडल से चावलों पर कुछ न कुछ बनाता, लिखता रहता था।
राकेश ने अंडों पर भी कई चित्र बनाए हैं। बारीक काम करने पर आंखों पर किसी तरह का प्रभाव पड़ता का प्रश्न सामने आते ही राकेश कहते है कि जीवन चलाने के लिए किसी तरह का काम भी किया जा सकता है। 1121 किस्म के बासमती चावल पर विभिन्न कार्टून्स के चित्र बना चुके राकेश दो बैगों में अपनी कलाकृतियों को लेकर अक्सर मेलों में अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
चावल के साथ-साथ राई के दाने पर विभिन्न प्रकार के नाम लिखने में माहिर राकेश के लिखे को पढ़ने के लिए लेंस की मदद लेनी पड़ती है।राकेश कहते है कि थोड़ा सहारा मिले तो बहुत कुछ कर सकता हूं। बस एक ही तमन्ना है कि इस कला को अलग रूप देकर देश-विदेश में नाम कमाए और अपने परिवार को सहारा दे सके।
सचमुच बहुत बारीक काम है ये. लाजवाब कारीगरी. बधाई.
ReplyDeleteमेरे एक मित्र जो गैर सरकारी संगठनो में कार्यरत हैं के कहने पर एक नया ब्लॉग सुरु किया है जिसमें सामाजिक समस्याओं जैसे वेश्यावृत्ति , मानव तस्करी, बाल मजदूरी जैसे मुद्दों को उठाया जायेगा | आप लोगों का सहयोग और सुझाव अपेक्षित है |
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