सुरेश कलमाड़ी दिल्ली के एक रेस्त्रां में डिनर करने पहुंचे थे, लेकिन यहां से शर्मिदा होकर लौटे। मामला शनिवार का है जब दिल्ली में होने जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स की आयोजन समिति के प्रमुख दो दोस्तों के साथ दक्षिणी राजधानी के एक मॉल स्थित रेस्त्रां पहुंचे थे। उनके साथ एक निजी सुरक्षा अधिकारी था, जिसे उन्होंने मॉल के बाहर इंतजार करने के लिए छोड़ दिया था।
शाम साढ़े आठ के आसपास रेस्त्रां में कुछ नौजवान भी मौजूद थे। जिन्होंने कलमाड़ी को पहचानने में देरी नहीं की और उन्हें घूरना शुरू कर दिया। तब तक कलमाड़ी अपने दोस्तों से बातें करने में व्यस्त थे। जब वे ऑर्डर देने के बाद इंतजार कर रहे थे तब पास की टेबल से एक युवक डरावने ढंग से उनकी ओर बढ़ने लगा।
रेस्त्रां में मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि पहले तो लोग समझे कि युवा कलमाड़ी के प्रशंसक हैं और खेलों पर उनसे कुछ चर्चा करना चाहते हैं, लेकिन वे उन्हें कोसने लगे। युवकों ने आरोप लगाया कि कलमाड़ी ने करदाताओं के पैसों से खाने का ऑर्डर दिया है। वे कहने लगे तुमने सारे प्रॉफिट पर अधिकार जमा लिया और कोई काम नहीं किया। तुम पुल गिरने और सड़कें धसने के जिम्मेदार हो। तुम्हारे कारण देश शर्मिदा है और तुम्हें इसका रत्तीभर भी पश्चाताप नहीं है। तुम कैसे मनुष्य हो। तुम देश के सबसे बड़े धोखेबाज हो। तुम यहां हमारे बीच बैठकर खाना खाने लायक नहीं हो।
और लोग भी हो गए युवाओं के साथ
यह सारा ड्रामा करीब सात से आठ मिनटों तक जारी रहा, जिसके बाद कलमाड़ी को बाहर खड़े अपने सुरक्षा अधिकारी को बुलाना पड़ा। अधिकारी अंदर आया तब तक रेस्त्रां के और लोग युवाओं से जुड़ चुके थे। इन्होंने कहा कि कलमाड़ी युवाओं से इस तरह पेश आने की कोशिश कैसे कर सकते हैं। आखिर युवा सच ही तो बोल रहे थे। तुमने हर तरह का भ्रष्टाचार कर लिया और अब हमसे चुप रहने के लिए कह रहे हो। यह सुनकर कलमाड़ी और उनके साथी दंग रह गए और बढ़ते आक्रोश को देख उन्होंने वहां से निकलना ही बेहतर समझा।
अरे यार .. एक - दो झापड़ तो लगा ही देने थे .....
ReplyDeleteइनके साथ यहीं होना चाहिए....
ReplyDeleteअब हिंदी ब्लागजगत भी हैकरों की जद में .... निदान सुझाए.....
दो चार लग जाते कलमाडी जी को तो बहुत अच्छा होता ....
ReplyDeleteबहुत अच्छा किया उन्होने…………अगर 2-4 जमा भी देते तो सबको कुछ तो सुकून आता।
ReplyDeleteक्या जज्बा है लोगों का!
ReplyDeleteयह तो सच है कलमाड़ी जी ने देश को इतनी सेंध लगाई है की जिसका असर कई सालों तक देखने में आएगा...
ReplyDeleteऐसे इंसानों को मारना भी खुद के हाथ गंदे करना है
सही लिखा आप ऐसे नेताओं को समाज से वहिस्कृत कर देना चाहिए, समाज को ऐसे नेता गन्दा कर रहें हैं. इनको रेस्तरां से नहीं समाज से ही वहिस्कृत कर देना चाहिए.
ReplyDeleteहम अक्सर यह करते हैं कि भ्रष्ट से भ्रष्ट राजनेता को भी सार्वजनिक रूप से सर माथे पर रखते हैं और उसके चारों तरफ दुम हिलाते हुए घूमते हैं। यदि जनता ऐसे भ्रष्ट राजनेताओं को या किसी को भी सम्मानित ना करते हुए सार्वजनिक स्थानों पर उनका जीना हराम कर दे तो कुछ बात बने। शहर में कवि सम्मेलन होते हैं, रात भर कवि राजनेताओं को कोसते नहीं थकते और सुबह देखो वे सभी किसी न किसी राजनेता के यहाँ होते हैं।
ReplyDeleteलगता है देश जग रहा है...धीरे धीरे ही सही लेकिन इस कुम्भकर्णी नींद से आँखें तो खोलने लगा है.
ReplyDeleteसच में, हिन्दुस्तान अंगडाई लेने लगा है.....
ReplyDeleteले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के.. अब अँधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गाँव के... बढ़िया खबर लाये दोस्त..
ReplyDeletebahiskar jaruri hai.
ReplyDeleteshabash Yuva shakti !
ReplyDelete