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एहसास


क्या कहे केसी हसीं वो शाम थी !
ना जाने किसकी याद हमारे पास थी !
सर्द हवाओ का प्यारा सा एहसास था !
मद मस्त मंद-मंद हवाओ का प्यार था !
जान कर हम ना जाने क्यु अनजान थे !
मीठे -मीठे दर्द से आज भी  बेजान थे !
 सर्द हवाए जेसे बदन को छु रही थी !
प्यारी-२बाते किसी की दिल मै उतर रही थी!
मीठे २ दर्द का एहसास  दिल के करीब था !
कहते भी कीससे हर कोई हमसे जो दूर था !
रात ने भी जेसे २ दस्तक देना शुरू किया !
नीद ने भी अपनी आग़ोश मै लेना शुरू किया !
बात जहां से शुरू हुई वही पर ख़तम हुई !
यादे भी अपने  पंख समेटे हमसे विदा हुई !
अब ना जाने हमको वो अपना कब पैगाम सुनाएगी  !
प्यारे प्यारे छोको से फिर से हमे जगाएगी !

Comments

  1. यादे भी अपने पंख समेटे हमसे विदा हुई !
    अब ना जाने हमको वो अपना कब पैगाम सुनाएगी !
    प्यारे प्यारे छोको से फिर से हमे जगाएगी !


    .बहुत ख़ूबसूरत...ख़ासतौर पर आख़िरी की पंक्तियाँ....मेरा ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए शुक़्रिया..

    ReplyDelete
  2. bahut khoobsurt
    mahnat safal hui
    yu hi likhate raho tumhe padhana acha lagata hai.

    ReplyDelete
  3. धन्यवाद दोस्त हमे भी आपके विचारो को इंतजार हमेशा रहता है !

    ReplyDelete
  4. बात जहां से शुरू हुई वही पर ख़तम हुई !
    यादे भी अपने पंख समेटे हमसे विदा हुई

    इन शब्दों ने सबसे अधिक प्रभावित किया...बहुत खूब..उम्मीद है आगे भी इस तरह की रचनाओं को हमारे सामने परोसेंगी..शुक्रिया

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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