जब भी एसी घटना होती है हम दुसरे देशो पर उंगली उठाना शुरू कर देते हैं बाहर झांकने से पहले हमे अपने घर अपने देश के नागरिको पर नज़र डालनी चाहिए ! रामायण मै एक बहुत ही सुन्दर पंक्ति लिखी गई है '' घर का भेदी लंका ढाहे '' सुनने मै बहुत बुरा लगता है पर ये शब्द हकीकत बयान भी करता है ! जब तक हम अपने देश की खबर बहार जाने से नहीं रोकेंगे तब तक एसी वारदातों को होने से कोई नहीं रोक सकता ! क्युकी दूसरा देश तो सिर्फ योजना बनाता हैं और उसी देश के नागरिको का इस्तेमाल उसी के देश मै करता है और इसका शिकार बनते हैं हमारे देश के वही भोले भाले युवावर्ग जो अपनी बात किसी से नहीं कह पाते हैं और उन्ही की भावनाए दाव पर लग जाती हैं ! वह युवा कोई और नहीं आपके या हमारे ही घर का सदस्य होता है बस हमे उन्ही का विश्वास जितना है उन्हें प्यार दुलार से बड़ा करना है उनके अन्दर अच्छे २ संस्कारो को जनम देना है जिससे वो गलत राह पकड़ने से पहले अच्छे और बुरे का फर्क कर सके वो हर सदस्य की भावनाओ को समझ सके और एक दुसरे से अपनी बात को कहने की हिम्मत कर सके हमे जरुरत सिर्फ और सिर्फ उन सदस्यों की तरफ ध्यान देना हैं जो आज के युग मै ५ या ६ लोगो से बना है अगर हम इनकी परवरिश अच्छे संस्कारो से करते हैं तो फिर हम सभी परिवारों को जोड़ कर एक अच्छे देश , अच्छे राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं और ये २ मिनट मै १० गोली का काम हमेशा के लिए तमाम कर सकते हैं !
बहुत सही कहाँ है आपने , बाहर जाकर वे प्रशिक्षित भी होकर आ जाते हैं और हमें खबर तक नहीं होती. कमी तो हमारी परवरिश में है न, हम उन्हें रोजगार मुहैया नहीं करा पा रहे हैं पेट की भूख बातों और वादों से नहीं बुझती है. हमारे देश में संसद में बैठकर राजनीति करने वालों के पेट खाली हैं पहले वे तो भर लें फिर देश को युवकों को देखें. मैं नहीं मानती की सारी गलती किसी दूसरे की हैं , हम अपनी अंगुली उठते हैं दूसरों की तरफ , खुद अपनी तरफ उठे अँगुलियों को भूल जाते हैं.
ReplyDeleteकरोड़ों की जनसंख्या पर सैनिक और पुलिस नजर नहीं रख सकती है. नीचे से शुरुआत कीजिये नहीं तो नींव में पलीता रखा होगा तो इमारत का खुदा ही मालिक होगा.
आपका बहुत २ धन्यवाद की आपने अपना कीमती समय निकल कर हमारे लेख को पड़ा !
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