लगा के दाग दामन में॥
मुस्करा के निकल गए॥
हमें छोड़ कर अकेले॥
गम ये दर्दे पिला गए॥
किस्मत में यही लिखा था॥
ओढ़ ली सफ़ेद साडी॥
अब रही न मै अकेली॥
गोद भी नहीं है खाली॥
जाते जाते अपनी निशानी॥
पेट में छुपा गए॥
लगा के दाग दामन में॥
मुस्करा के निकल गए॥
हमें छोड़ कर अकेले॥
गम ये दर्दे पिला गये॥
मुस्करा के निकल गए॥
हमें छोड़ कर अकेले॥
गम ये दर्दे पिला गये॥
पल रहा है पेट में ॥
तीन महीने का लल्ला।
वे अगर ज़िंदा यूं होते॥
घर में मचा देते हो हल्ला॥
ऐसी घडी में छोड़ कर॥
हाथो से मेरे फिसल गये॥
लगा के दाग दामन में॥
मुस्करा के निकल गए॥
हमें छोड़ कर अकेले॥
गम ये दर्दे पिला गये॥
मुस्करा के निकल गए॥
हमें छोड़ कर अकेले॥
गम ये दर्दे पिला गये॥
ससुराल के लोगो ने॥
कहर खूब पर्पाया है।
बूढ़े माँ बाप ने तब॥
हाथ आगे बढाया है॥
तुमतो मुझसे दूर हुए॥
क्यों रिश्ता पकड़ा गये॥
लगा के दाग दामन में॥
मुस्करा के निकल गये॥
हमें छोड़ कर अकेले॥
गम ये दर्दे पिला गए॥
मुस्करा के निकल गये॥
हमें छोड़ कर अकेले॥
गम ये दर्दे पिला गए॥
रोके से रुकते नहीं ॥
आँखों से ये आंसू॥
थामेगा अब कौन इसे॥
फड़कता है बाजू॥
मै ढूढती तुम्हे हूँ॥
तुम वादा कर के भुला गये॥
लगा के दाग दामन में॥
मुस्करा के निकल गए॥
हमें छोड़ कर अकेले॥
गम ये दर्दे पिला गए॥
मुस्करा के निकल गए॥
हमें छोड़ कर अकेले॥
गम ये दर्दे पिला गए॥
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर