Skip to main content

संस्‍कृतलेखनप्रशिक्षणकक्ष्‍या - प्रथमो अभ्‍यास:



प्रिय मित्रों

जैसा कि मैने आप सब से वादा किया था संस्‍कृत में लिखने का प्रशिक्षण प्रारम्‍भ करने का
तो आपके समक्ष प्रस्‍तुत कर रहा हूँ इस कक्ष्‍या का प्रथम संस्‍करण ।
इस पाठ्यक्रम को पूरी मेहनत से और इस तरीके से बनाया गया है जिससे आप संस्‍कृत लेखन में शीघ्र ही सफल हो सकें ।
मेरा दावा है कि इसके पूरे संस्करण पढने व याद कर लेने के बाद आप बहुत ही आराम से संस्‍कृत में लिख सकेंगे और अधिकाधिक समझ भी सकेंगे ।

संस्‍कृतलेखनप्रशिक्षण्‍कक्ष्‍या - प्रथम: अभ्‍यास:


उपरोक्‍त लिंक पर बलाघात करें ।
एक बात और कहनी थी आप सब से , इस ब्‍लागजगत में कई लोग ऐसे भी हैं जो संस्‍कृत में लिखना जानते हैं । उन्हे इस ब्‍लाग पर लिखने के लिये आमन्त्रित कर रहा हूँ, इच्‍छुक लोग मुझे ईमेल करें ।
और कई सारे लोग ऐसे भी हैं जो संस्‍कृत सीखने के इच्‍छुक हैं पर इस कक्ष्‍या की जानकारी न होने के कारण लाभ नहीं उठा पा रहे हैं । इसके लिये आप लोगों से अनुरोध है कि आप अपने ब्‍लाग के साइड में संस्कृतं-भारतस्‍य जीवनम् ब्‍लाग का लोगो लगा लें जिसका कोड आप इस ब्‍लाग के साइडबार से प्राप्‍त कर सकते हैं ।

इतने सब के बाद अब थोडी कमाई की बात कर ली जाए ।
हमने अपने ब्‍लाग पर एक बैनर लगाया है, कमाई करने वाला । ये ब्‍लाग में सबसे उपर ही है, बस आपको करना ये है कि जाते जाते एक बार इस पर क्लिक कर दीजियेगा ।
इससे शायद मेरी कुछ कमाई हो जाए । और अगर आप भी कमाई करना चाहें तो इसपर रजिस्‍टर कर सकते हैं ।
अब अगर आप का कुछ घाटा भी न हो और हमारी कुछ कमाई हो जाए तो मुझे नहीं लगता आपको कोई ऐतराज होगा ।

।। धन्‍यवाद ।।

भवदीय: - आनन्‍द:

Comments

  1. संस्कृत लेखन एवम् अध्यापन के लिए साधुवाद..

    ReplyDelete
  2. सीख रही हूँ।

    ReplyDelete
  3. वाह !!! कितने अच्छे विचार है .

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा