जब दिल का तार टूटा था॥
गम बदली छायी थी॥
बादल कड़क रहे थे॥
आंधी आयी थी॥
यादे बहुत रुलाई थी॥
समय अचेत हुआ था॥
पुरवाई मुरझाई थी॥
साड़ी रश्मे तोड़ दिए थे॥
मै वापस आयी थी॥
यादे बहुत रुलाई॥
मुह मोड़ लिए थे सब ने..
मेरी उडाये थे॥
भाग-भाग कह करके ॥
हमको दौडाए थे॥
मजबूर हुए थी तब मै॥
वह राज़ बतायी थी॥
गम बदली छायी थी॥
बादल कड़क रहे थे॥
आंधी आयी थी॥
यादे बहुत रुलाई थी॥
समय अचेत हुआ था॥
पुरवाई मुरझाई थी॥
साड़ी रश्मे तोड़ दिए थे॥
मै वापस आयी थी॥
यादे बहुत रुलाई॥
मुह मोड़ लिए थे सब ने..
मेरी उडाये थे॥
भाग-भाग कह करके ॥
हमको दौडाए थे॥
मजबूर हुए थी तब मै॥
वह राज़ बतायी थी॥
bahot achha likha hai aapane
ReplyDeletethankyou mishra g
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