♦ आशुतोष भारद्वाज
नयी दिल्ली, 31 जुलाई।महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति और भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी वीएन राय ने हिंदी की एक साहित्यिक पत्रिका को दिये साक्षात्कार में कहा है कि हिंदी लेखिकाओं में एक वर्ग ऐसा है, जो अपने आप को बड़ा ‘छिनाल’ साबित करने में लगा हुआ है। उनके इस बयान की हिंदी की कई प्रमुख लेखिकाओं ने आलोचना करते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।
भारतीय ज्ञानपीठ की साहित्यिक पत्रिका ‘नया ज्ञानोदय’ को दिये साक्षात्कार में वीएन राय ने कहा है, ‘नारीवाद का विमर्श अब बेवफाई के बड़े महोत्सव में बदल गया है।’ भारतीय पुलिस सेवा, 1975 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी वीएन राय को 2008 में हिंदी विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था। इस केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना केंद्र सरकार ने हिंदी भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए की थी।
हिंदी की कुछ प्रमुख लेखिकाओं ने वीएन राय को सत्ता के मद में चूर बताते हुए उन्हें बर्खास्त करने की मांग की है। मशहूर लेखक कृष्णा सोबती ने कहा, ‘अगर उन्होंने ऐसा कहा है, तो यह न केवल महिलाओं का अपमान है बल्कि हमारे संविधान का उल्लंघन भी है। सरकार को उन्हें तत्काल बर्खास्त करना चाहिए।’
‘नया ज्ञानोदय’ को दिये साक्षात्कार में वीएन राय ने कहा है, ‘लेखिकाओं में यह साबित करने की होड़ लगी है कि उनसे बड़ी छिनाल कोई नहीं है… यह विमर्श बेवफाई के विराट उत्सव की तरह है।’ एक लेखिका की आत्मकथा, जिसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं, का अपमानजनक संदर्भ देते हुए राय कहते हैं, ‘मुझे लगता है इधर प्रकाशित एक बहु प्रचारित-प्रसारित लेखिका की आत्मकथात्मक पुस्तक का शीर्षक हो सकता था ‘कितने बिस्तरों में कितनी बार’।’
वीएन राय से जब यह पूछा गया कि उनका इशारा किस लेखिका की ओर है, तो उन्होंने हंसते हुए अपनी पूरी बात दोहरायी और कहा, ‘यहां किसी का नाम लेना उचित नहीं है – लेकिन आप सबसे बड़ी छिनाल साबित करने की प्रवृत्ति को देख सकते हैं। यह प्रवृत्ति लेखिकाओं में तेजी से बढ़ रही है। ‘कितने बिस्तरों में कितनी बार’ का संदर्भ आप उनके काम में देख सकते हैं।’
वीएन राय के इस बयान पर हिंदी की मशहूर लेखिका और कई पुरस्कारों से सम्मानित मैत्रेयी पुष्पा कहती हैं, ‘राय का बयान पुरुषों की उस मानसिकता को प्रतिबिंबित करता है जो पहले नयी लेखिकाओं का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं और नाकाम रहने पर उन्हें बदनाम करते हैं।’ वे कहती हैं, ‘ये वे लोग हैं जो अपनी पवित्रता की दुहाई देते हुए नहीं थकते हैं।’ पुष्पा कहती हैं, ‘क्या वे अपनी छात्रा के लिए इसी विशेषण का इस्तेमाल कर सकते हैं? राय की पत्नी खुद एक लेखिका हैं। क्या वह उनके बारे में भी ऐसा ही कहेंगे।’ पुष्पा, वीएन राय जैसे लोगों को लाइलाज बताते हुए कहती हैं कि सरकार को उनपर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाना चाहिए।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति के इस बयान को ‘घोर आपराधिक’ करार देते हुए ‘शलाका सम्मान’ से सम्मानित मन्नू भंडारी कहती हैं, ‘वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। एक पूर्व आईपीएस अधिकारी एक सिपाही की तरह व्यवहार कर रहा है।’ वे कहती हैं कि एक कुलपति से वे इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं कर सकती हैं। भंडारी कहती हैं, ‘हम महिला लेखकों को नारायण जैसे लोगों से प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है।’
(जनसत्ता से नकलचेंपी | जनसत्ता में भी इंडियन एक्सप्रेस की खबर का अनुवाद | खबर की मूल कॉपी का लिंक : Women Hindi writers vying to be seen as prostitutes: VC)
वास्तव में तो राय ने कहीं भी कुछ भी गलत नहीं कहा है, हाल में ही कुछ आत्मकथाएं( महिला लेखकों की) एसी आई हैं जिनको पढ/ सुन कर हर आदमी यही कहेगा । समाज़ में इस प्रकार की आत्मस्वीक्रिति भी मानसिक असन्तुलन का प्रमाण है, एवं घोर आपराधिक क्रत्य है।
ReplyDeleteइस मामले में कोई भी राय बनाने से पहले कृपया पूरा साक्षात्कार पढ़ें। केवल एक वाक्य या शब्द सुनकर, या उसके बारे में कहीं पढ़कर फतवा जारी करना ठीक नहीं है।
ReplyDelete- आनंद