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महा काल पगलायेगा..

जब चोर सिपाही संग संग घूमे॥
नेता वेश्या संग नाचे॥
महा दरिद्र रोटी को तरसे॥
पंडित जी मदिरालय ताके॥
तब देश की आन मान पर ख़तरा॥
धीरे धीरे मंडराए गा॥
baap beti masti me लोटे॥
ससुर पतोह संग पत्ता खेले॥
भाई बहिन संग रास रचाए॥
भतीज चाची के आँख चटोले॥
तब जवान लैरका मरिहै रास्ता म॥
tab महा काल पगलायेगा॥

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

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