
आँखों की गलतियों से॥
मै दीवाना हो गया॥
पागल पथिक संग चल के॥
मै परवाना हो गया॥
रिश्ते बदल गए ॥
अदब हया खो दी॥
अपनी ही जिंदगी में॥
कांटो की बीज बो दी॥
उसको हमें यूं देखे॥
जमाना गुजर गया॥
पागल पथिक संग चल के॥
मै परवाना हो गया॥
मै परवाना हो गया॥
शायद माहे वह भूल गयी॥
या मजबूर हो गयी॥
मिल जाओ हमें बिछड़ के॥
क्यों दूर हो गयी॥
चुनरी को तेरे छू के॥
मै मस्ताना हो गया॥
पागल पथिक संग चल के॥
मै परवाना हो गया॥
मै परवाना हो गया॥
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--- संजय सेन सागर