करते करते मेहनत मजदूरी॥
हाथ में घिट्ठे पड़ गए ॥
हम जैसे के जैसे रह गए॥
वही है झप्पर है खाट॥
महा दरिद्र हमरी औकात...
गिरते गिरते बच गए॥
हम जैसे के जैसे रह गए॥
चार है बच्चे किस्मत के कच्चे॥
पढ़ लिख न पाए बने न सच्चे॥
जीवन की धुरी में रच गए॥
हम जैसे के जैसे रह गए॥
देहिया झांझर सन है बाल॥
कोई न पूछे का हवाल॥
गाल में गड्ढे पड़ गए॥
हम जैसे के जैसे रह गए॥
बेचारा मजदूर...मजबूर होके..
Majdoor sach mein kitna hota hai majboor!
ReplyDeleteYatharth chitran ke liye aabhar
thankyou kavita ji,,,
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