मै दिल्ली का रहने वाला॥
दिल्ली की अलख जगाऊगा॥
दिल्ली मुझको दिल से प्यारी॥
दिल्ली की बात बताऊगा॥
चारो और हरियाली चाई॥
कोयल गीत सुनती है॥
हर क्यारी में खुशबू बहती॥
मन को बहुत महकाती है॥
दिल्ली मुझको दिल से प्यारी॥
दिल्ली की तिलक लगाऊगा॥
चारो तरफ सुविधा रहती है॥
मित्रो रेस लगाती है॥
दिल्ली है दिलवालों की ॥
ये बोली मुझको भाती है॥
नहीं जाऊगा बाम्बे पूना॥
दिल्ली में दीप जलाऊगा॥
जान माल का यहाँ न ख़तरा॥
सुविधा से लैस सुरक्षा है॥
कोई यहाँ विरोध नहीं है॥
दिल्ली देती दीक्षा है॥
बेईमानो की बेईमानी को॥
दिल्ली से दूर भागाऊगा॥
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--- संजय सेन सागर