Skip to main content

मिडिया को ये लोग क्यों दिखाई नहीं देते॥


भीख माँगते बच्चे आखिरकार क्यों भीख मांग रहे है? क्यों कूड़ा चुन रहे सड़क के किनारे क्यों छोटे बच्चे अब भी नौकरी कर रहे है॥ यह कैसा देश है जहा कानून का पालन सही ठंग से न किये जा रहे है और न करवाए जा रहे है, ये कौन करवाता है, की हमारे देश के भविष्य से खिड्वाद कर रहा है, हमारे मीडिया की नजर इन पर भी होनी चाहिए, हमारी मीडिया ने बहुत लोगो के पोल खोल रही है , बहुतो की खोले गी, अगर अब भी हमारी मिडिया के लोगो को पता है, की कहा क्या हो रहा है, लेकिन वे भी आँख बंद कर लेते है, शायद उन्हें सच्चाई से दर लगता है, नंदा की कोठी में जो ड्राईवर की ह्त्या हुयी उसका क्या ह़ा॥ मीडिया ईमान दारी से काम करे तो वह एक साल के अनार ४५% हमारे देश की बुराई दूर कर सकती है,, सब को पता होता है , किस एरिया में अवैध काम होता है॥ लेकिन मीडिया भी फोकस में हमेशा रहती है,, मिडिया का मतलब होता सच को सलाम और बुराई को उजागर करना॥ शायद आप लोग अब ध्यान ही दो,,, हमें साथ मिलाओ हम आप के साथ संघर्ष करेगे॥

मिडिया को ये लोग क्यों दिखाई नहीं देते॥

Comments

  1. dear sanjay ji hindustan ka media bhee ho sakata hai ki kanoon ki tarah aandha ho.media ko to dhoni ki shaadi jaisi ----kisi afsar ka kutta khoo gaya ---- mantri ji ki------ is tarah ki news -----

    ReplyDelete
  2. bilkul aap sahi kah rahe sir, ji,,,

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा