यह कहानी एक प्रेम कहानी है जो॥ एक लड़का उत्तर प्रदेश का रहने वाला है दिल्ली में पढाई के लिए आया है पढाई करते करते एक लड़की को दिल दे बैठता है लड़की चंडीगढ़ की होती लड़की अपने परिजनों को अपनी शादी उस लडके से करने के राजी कर लेती है॥ और लडके से कहती है की आप अपने घर वालो से बात कर लो लड़का कहता है तुम हमारी माँ को एक ख़त भेज दो क्यों की मै इस बारे में पहले माँ के पास नहीं जा सकता हूँ॥ अलादाकी अपनी सासू माँ को ख़त लिखती है और क्या लिखती है पढ़िए॥
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प्रिय पकज की माँ ...
aआदरणीय पंकज की माँ ,,मै आप का पंकज बड़ा वो है॥ कभी कभी हमें रास्ते में क्या क्या करता है,॥ वह मुझे चिढाता है और कहता है की हे॥ मेघ राज़ थोड़ी से बरसात कर दो, हवाओं से कहता है हे हवाओं थोड़ी सी दया करो॥ जिससे मौसम अंगडाई लेने लगे। इसकी रशिली बोली कोयल की तरह मन को आनंदित कर दे। इसके पैर घुघरू से सजे हो और थिरकने लगे, इतना ही नहीं कभी कभी वह मुझे पकड़ लेता है। और मुझसे बरजोरी करने लगता है। मेरी शिखाओं को हिला देता है। मेरी कलियों के रस को चूसने की कोशिश करते है॥ लेकिन मै उचित और अनुचित समझती हूँ। और वे नाराज़ हो जाते है वे परदे के अन्दर आना चाहते है । लेकिन मै अभी पर्दा नहीं उठाना चाहती हूँ। ऐसा भी नहीं है की मै उन्हें अपना वो नहीं मानती हूँ। हमें आशा तथा विश्वाश है॥ की आप हमें निराश नहीं करेगी आप अपने बच्चो की खुशिया संग संग मनाएगी॥ हमारी क्यारी को कंचन करने के लिए आप नए नए तरीके हमें बतायेगी॥ मै भी आप को अपनी माँ के samaan sthaan doogi आप की sewaa करूगी॥ आप का हाथ पाँव कभी कभी आप का गला भी दवायू गी मेरा मतलब यह नहीं है जान से मारने का मेरा मतलब अगर कभी खरास वगैरह आयी तो मालिश कर दूगी॥
पंकज ने हमें बताया है की आप ने बच्चो का कैसे लालन पालन किया आप ने बहुत ही संघर्ष शील jiwan yaapan किया है॥ वे baate yaad karke मै dukhi huyee thee॥
अगर आप एक बार हमारी सास बन गयी तो सात जन्मो तक बनती रहेगी... मै आवारा ऐरा गिरा तम्बू टकोरा नहीं हूँ॥ मै कोई चीनी का बोरा नहीं हूँ॥ मै भी अपने माँ बाप की राजदुलारी हूँ उनकी खुश्बुओ की क्यारी हूँ॥ मै अपने घर वालो को बोल दिया था की पंकज ही मेरा पतिपरमेश्वर बनेगा ॥ ओके घर वालो ने बोला ओके॥ आप के उत्तर का हमें इन्तजार रहेगा॥ आप भी अपने सुन्दर शब्दों में भविष्य की खुशिया लिख के भेजना॥
बन्ने वाली सासू माँ करना मत इनकार॥
पंकज मुझको नहीं मिला तो दे दू मै जान॥
मैंने अपना बनाया उसे ॥
वह हमारे गमो का मसीहा है॥
मै सजाती रहूगी अपनी बगिया॥
गम गामा कर खिले गी कलियाँ॥
आप की होने वाली बहू॥
झुयी मुई
Part---------II
सुन पंकज की बहुरिया॥
मै एक साचारण महिला हूँ, वह मेरा एक ही बेटा है ॥ मेरे कुल में दीप जलाने वाला अब तुम उसकी पतवार बन गयी हो॥ तुम उसके भविष्य की शान्ति बन गयी हो॥ तुम हमारी एक बात सदा याद रखना अपने सरल स्वभाव का हमेशा इश्तेमाल करना॥ तुम्हारे जैसे हमारे पास एक बेटी भी है हमारे पंकज के सरल स्वभाव की मर्यादा का ख्याल रखना ॥ हमारे उझड़े बाग़ में फिर से खुशिया भर देना॥ जो बाग़ पिछले २५ साल से बिरान पडा है॥ कोयल गूंगी हो गयी है मोर दूसरी जगह चले गए है॥ नदियों का कलरव मंद पद गया है॥ शान्ति भंग हो गयी है॥ मै १२ साल से विधवा का जीवन यापन कर रही हूँ। कई बार अपने बच्चो के साथ लडखडाते लडखडाते बच गयी हूँ। मै भी सोचती हूँ की मेरी बहू सर्व गुण संपन्न हो॥ मै तुम्हारे माँ बाप से जल्द मिल कर शादी पक्की कर दूगी॥
तुम जब आओगी ये महल मेरा सज जाएगा॥
हवा बयरिया अंगना नाचे॥ सावन उधम मचाएगा॥
गगन से बदरा रिम-झिम बरसे मौसम महक ,,
लुटायेगा॥
जब तुम दुल्हन बन घर आओगी ॥
मेरा मन प्रफुल्लित हो जाएगा॥
पंकज की माँ ...
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प्रिय पकज की माँ ...
aआदरणीय पंकज की माँ ,,मै आप का पंकज बड़ा वो है॥ कभी कभी हमें रास्ते में क्या क्या करता है,॥ वह मुझे चिढाता है और कहता है की हे॥ मेघ राज़ थोड़ी से बरसात कर दो, हवाओं से कहता है हे हवाओं थोड़ी सी दया करो॥ जिससे मौसम अंगडाई लेने लगे। इसकी रशिली बोली कोयल की तरह मन को आनंदित कर दे। इसके पैर घुघरू से सजे हो और थिरकने लगे, इतना ही नहीं कभी कभी वह मुझे पकड़ लेता है। और मुझसे बरजोरी करने लगता है। मेरी शिखाओं को हिला देता है। मेरी कलियों के रस को चूसने की कोशिश करते है॥ लेकिन मै उचित और अनुचित समझती हूँ। और वे नाराज़ हो जाते है वे परदे के अन्दर आना चाहते है । लेकिन मै अभी पर्दा नहीं उठाना चाहती हूँ। ऐसा भी नहीं है की मै उन्हें अपना वो नहीं मानती हूँ। हमें आशा तथा विश्वाश है॥ की आप हमें निराश नहीं करेगी आप अपने बच्चो की खुशिया संग संग मनाएगी॥ हमारी क्यारी को कंचन करने के लिए आप नए नए तरीके हमें बतायेगी॥ मै भी आप को अपनी माँ के samaan sthaan doogi आप की sewaa करूगी॥ आप का हाथ पाँव कभी कभी आप का गला भी दवायू गी मेरा मतलब यह नहीं है जान से मारने का मेरा मतलब अगर कभी खरास वगैरह आयी तो मालिश कर दूगी॥
पंकज ने हमें बताया है की आप ने बच्चो का कैसे लालन पालन किया आप ने बहुत ही संघर्ष शील jiwan yaapan किया है॥ वे baate yaad karke मै dukhi huyee thee॥
अगर आप एक बार हमारी सास बन गयी तो सात जन्मो तक बनती रहेगी... मै आवारा ऐरा गिरा तम्बू टकोरा नहीं हूँ॥ मै कोई चीनी का बोरा नहीं हूँ॥ मै भी अपने माँ बाप की राजदुलारी हूँ उनकी खुश्बुओ की क्यारी हूँ॥ मै अपने घर वालो को बोल दिया था की पंकज ही मेरा पतिपरमेश्वर बनेगा ॥ ओके घर वालो ने बोला ओके॥ आप के उत्तर का हमें इन्तजार रहेगा॥ आप भी अपने सुन्दर शब्दों में भविष्य की खुशिया लिख के भेजना॥
बन्ने वाली सासू माँ करना मत इनकार॥
पंकज मुझको नहीं मिला तो दे दू मै जान॥
मैंने अपना बनाया उसे ॥
वह हमारे गमो का मसीहा है॥
मै सजाती रहूगी अपनी बगिया॥
गम गामा कर खिले गी कलियाँ॥
आप की होने वाली बहू॥
झुयी मुई
Part---------II
सुन पंकज की बहुरिया॥
मै एक साचारण महिला हूँ, वह मेरा एक ही बेटा है ॥ मेरे कुल में दीप जलाने वाला अब तुम उसकी पतवार बन गयी हो॥ तुम उसके भविष्य की शान्ति बन गयी हो॥ तुम हमारी एक बात सदा याद रखना अपने सरल स्वभाव का हमेशा इश्तेमाल करना॥ तुम्हारे जैसे हमारे पास एक बेटी भी है हमारे पंकज के सरल स्वभाव की मर्यादा का ख्याल रखना ॥ हमारे उझड़े बाग़ में फिर से खुशिया भर देना॥ जो बाग़ पिछले २५ साल से बिरान पडा है॥ कोयल गूंगी हो गयी है मोर दूसरी जगह चले गए है॥ नदियों का कलरव मंद पद गया है॥ शान्ति भंग हो गयी है॥ मै १२ साल से विधवा का जीवन यापन कर रही हूँ। कई बार अपने बच्चो के साथ लडखडाते लडखडाते बच गयी हूँ। मै भी सोचती हूँ की मेरी बहू सर्व गुण संपन्न हो॥ मै तुम्हारे माँ बाप से जल्द मिल कर शादी पक्की कर दूगी॥
तुम जब आओगी ये महल मेरा सज जाएगा॥
हवा बयरिया अंगना नाचे॥ सावन उधम मचाएगा॥
गगन से बदरा रिम-झिम बरसे मौसम महक ,,
लुटायेगा॥
जब तुम दुल्हन बन घर आओगी ॥
मेरा मन प्रफुल्लित हो जाएगा॥
पंकज की माँ ...
……………………………………..part III…………………………………..
वाह रे पगली माई॥
प्रिये माता जी सादर चरण स्पर्श॥
मै ठीक हूँ आप ने हमारे से बिना बताये उस छुई मुई को अपनी बहू बनाने के लिए तैयार है , जानती हो उसका रूप रंग कैसा है॥
आँख: मृग नयनी जैसी आँखे उसकी हमें कस्तूरी ki सुगंध आती है.. मै us सुगंध ko ढूढता हूँ। जो अभी तक ढूढ़ नहीं पाया हूँ॥
होठ: उसके होठ इतने राशिले है कि उसको रसपान करने के लिए मन लालायित हो जाता है॥
कमर: उसकी कमर रेलवे लाइन के तरह है पता नहीं कितनी बार लचकती है॥
हाथ: उसके हाथ कोमल और सुकुवार है॥
बोल: उसकी मधुर आवास कानो में कोयल कि कू कू कि तरह सुनायी देती है॥
रहन सहन: वह इस मोडल युग में भी सुबह शाम मंदिर में पूजा करने जाती है॥
रूझान: उसका ध्यान भक्ति भावना में लीं रहता है॥
भावना: उसके हिसाब से किसी कि भावनाओं को ठेस न पहुचे जीव जंतु उसके द्वारे न मारे जाए अगर उसके पाँव के नीचे चीटी मर जाती है तो वह कई दिनों तक दुखी रहती है॥
खुशी: जब मै लेखक दुनिया के पहले बदमाश का आवार्ड जीता तो वह ख़ुशी से उछल पड़ी और मुझे चूम लिया॥
मै भी राजी हूँ उससे शादी करने को माँ॥
आप का लाडला॥
great..awesome....keep writing sambhunath ji............
ReplyDeleteवाह वाह्………………।खत ऐसा हो तो क्या बात है।
ReplyDeletethankyou sen saab and vandna ji...
ReplyDeletethank you sen saahab and vandna ji,,,
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